चंडीगढ़, 09 अक्टूबर (हि.स.)। पांच वर्ष बाद हरियाणा में एक बार फिर जाट राजनीति का केंद्र बन चुका है। राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल, जननायक जनता पार्टी और बसपा ने इस बार जाटों को टिकट देने में प्राथमिकता दी है। अतीत में जहां जाति समीकरणों का विरोध किया जाता रहा है, वहीं इस बार स्थिति भिन्न है। विभिन्न दलों ने विभिन्न क्षेत्रों में जाति को आधार रख कर टिकटें बांटी है।
चुनाव में लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने सबसे अधिक 09 ब्राह्मणों को चुनाव मैदान में उतारा है। भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में जहां सात, कांग्रेस ने पांच तो जननायक जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी ने छह-छह ब्राह्मण उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। इनेलो ने ब्राह्मण समुदाय के चार तो बहुजन समाज पार्टी ने पांच ब्राह्मणों पर भरोसा करते हुए चुनाव में टिकट दिए हैं। इसके साथ ही लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने दलितों और पिछड़ों पर दावं खेला है।
दिलचस्प बात यह भी है कि जाट आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा से अलग होने वाले पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ने एक भी जाट उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है।
यादव बहुल इस क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी ने छह-छह, लोक तंत्र सुरक्षा पार्टी ने तीन, इनेलो ने दो को टिकट दिया है। जबकि आप ने सिर्फ एक यादव को टिकट दिया है।