नई दिल्ली, 10 जनवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पिछले साल 18 जुलाई को हुआ एनकाउंटर पूरी तरह फर्जी पाए जाने के बाद अब पुलिस ने आर्मी के कैप्टन और 4 जवानों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इसमें उन दो नागरिकों को भी आरोपित बनाया गया है जिन्होंने इस मामले में मुखबिरी की थी और इस समय जेल में हैं। यह फर्जी एनकाउंटर 20 लाख रुपये की पुरस्कार राशि हड़पने के लिए किया गया था। दूसरी तरफ सेना ने भी कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी पूरी करने के बाद कैप्टन और चारों जवानों के खिलाफ अलग से कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की है। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी कहा था कि भारतीय सेना अपने पेशेवर अंदाज के लिए जानी जाती है और वह इसके लिए प्रतिबद्ध है। हिंसा प्रभावित इलाकों के लिए बनाई गईं गाइडलाइंस में हमारी जीरो टोरलेंस की नीति है, इसलिए ऐसी गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सेना ने 18 जुलाई, 2020 को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में एक मुठभेड़ के दौरान तीन आतंकियों को ढेर किये जाने का दावा किया था। इस एनकाउंटर में मारे गये तीनों लोगों की पहचान सेना ने नहीं बताई थी। इसी बीच पुंछ में राजौरी इलाके के कोटरांका में धार सकरी गांव के तीन युवकों के परिजनों ने उनके लापता होने की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। लापता युवकों में इम्तियाज अहमद (26), इबरार अहमद (18) और इबरार अहमद (21) शामिल हैं। इनके परिवार ने पुलिस को बताया कि तीनों युवकों से आखिरी बार 16 जुलाई को बात हुई थी। ये तीनों युवक मुख्य रूप से सेब और अखरोट के कारोबार से जुड़े थे। अंतिम बातचीत में युवकों ने उन्हें बताया था कि शोपियां के आशिपुरा में किराए का एक कमरा मिल गया है। अगले दिन उसी जगह पर मुठभेड़ हुई और उसके बाद से तीनों के बारे में कोई खबर नहीं है।
दूसरी तरफ सेना की राष्ट्रीय रायफल्स (आरआर) की ’62 यूनिट’ का कहना था कि अमशीपोरा के एक घर में 4-5 आतंकी छिपे होने का इनपुट मिला था। इसी आधार पर आरआर यूनिट ने वहां सर्च ऑपरेशन किया तो इसी दौरान आतंकियों ने एके-47 से उन पर जबरदस्त फायरिंग की थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के टुकड़ियां भी एनकाउंटर-स्थल पर पहुंच गई थीं। घर में दाखिल होते वक्त भी उन पर पिस्टल से फायर हुआ था। सेना की जवाबी कार्रवाई में घर में मौजूद तीनों ‘आतंकी’ मारे गए। इनके पास से सुरक्षाबलों को दो पिस्टल भी बरामद हुए थे। एनकाउंटर के बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी भी की थी लेकिन सीआरपीएफ और पुलिस ने मिलकर भीड़ को तितर-बितर कर दिया था। इस एनकाउंटर में मारे गये तीनों लोगों की पहचान सेना ने नहीं बताई थी और तीनों शवों को चुपचाप दफना भी दिया था।
पुलिस की जांच-पड़ताल के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हुईं शोपियां की इस मुठभेड़ से जुड़ी सूचनाओं पर सेना ने खुद संज्ञान लिया। इस पर सैन्य अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी तो यह एनकाउंटर संदिग्ध लगा। सेना ने जांच के दौरान कुछ अन्य गवाहों के बयान भी दर्ज किये। कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में सेना को शोपियां मुठभेड़ में अफस्पा के तहत मिली शक्तियों के अलावा सेना प्रमुख और सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन होने के ‘प्रथम दृष्टया’ साक्ष्य मिले। इसके बाद सेना ने दफन किए गए शवों को निकालकर फिर से पोस्टमार्टम और डीएनए टेस्ट कराया। मारे गए तीनों युवकों और उनके परिवार वालों का डीएनए टेस्ट मेल खाने पर सेना ने मुठभेड़ में शामिल एक कैप्टन समेत जवानों के खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू किये जाने के आदेश दिए। सेना ने कैप्टन भूपिंदर सिंह को हिरासत में लेकर उसके खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की है।
एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी साबित होने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीनों युवकों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए ताकि वे अपने धर्म के आधार पर अंतिम संस्कार कर सकें। इसके साथ ही पुलिस ने सेना के मुखबिरों के रूप में काम करने वाले दो नागरिकों को 22 सितम्बर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिय। अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने चार्जशीट दाखिल की है जिसमें सेना के कैप्टन भूपिंदर सिंह के अलावा सेना के चार जवानों सूबेदार गारू राम, लांस नायक रवि कुमार, सिपाही अश्विनी कुमार और युजेश को भी आरोपित बनाया गया है जो घटना के समय कैप्टन सिंह की टीम का हिस्सा थे। इसके अलावा जेल भेजे जा चुके दो नागरिकों तबीश नजीर और बिलाल अहमद लोन की भूमिका का भी विवरण दिया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल ने प्रस्तुत आरोप पत्र में 75 गवाहों को सूचीबद्ध किया है और कॉल डेटा रिकॉर्ड सहित तकनीकी सबूत भी दाखिल किए हैं।
चार्जशीट में कहा गया है कि मौके पर पहुंचने पर कैप्टन ने चारों जवानों को अलग-अलग दिशाओं से कॉर्डन ऑफ करने को कहा। चार्जशीट में चारों जवानों के बयानों के हवाले से कहा गया है कि वाहन से उतरने के बाद घेराबंदी करने से पहले ही गोला-बारूद फटने की आवाज सुनी। बाद में कैप्टन सिंह ने उन्हें बताया कि उन्हें गोली चलाना पड़ा क्योंकि छिपे हुए आतंकवादी भागने की कोशिश कर रहे थे। चार्जशीट ने कहा गया है कि कैप्टन सिंह और दो अन्य नागरिकों (मुखबिरों) ने उद्देश्यपूर्ण रूप से वास्तविक अपराध के सबूत नष्ट कर दिए जो उनके द्वारा किए गए आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा थे। चार्जशीट ने कहा गया है कि यह फर्जी एनकाउंटर 20 लाख रुपये की पुरस्कार राशि हड़पने के लिए किया गया था। इसीलिए 62 राष्ट्रीय राइफल्स के आरोपित कैप्टन ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने के लिए झूठी सूचना दी। इतना ही नहीं आपराधिक साजिश रचकर पुरस्कार राशि हड़पने के अपने मकसद को पूरा किया।