लखनऊ, 05 अगस्त (हि.स.)। 26 अक्टूबर 1947 की रात जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरी सिंह ने अपने अंगरक्षक कप्तान दीवान सिंह से कहा कि ‘अब मैं सोने जा रहा हूं। यदि सुबह अगर तुम्हें भारतीय सैनिक विमानों की आवाज़ सुनाई न दे तो मुझे नींद में ही गोली मार देना।’ दरअसल इससे कुछ देर पहले ही उन्होंने कश्मीर का भारत में विलय करने का फैसला लेकर ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन’ पर हस्ताक्षर किये थे। इस तरह कश्मीर भारत का हिस्सा बन चुका था। इसके लिए अहम भूमिका निभाने वाले सरदार पटेल इसको हर राज्य की तरह ही सामान्य दर्जा देना चाहते थे लेकिन जवाहर लाल नेहरू ने विशेष अनुच्छेद 370 जोड़कर अभिन्नता में भी भिन्नता कर दी, जिसे 70 सालों बाद केंद्र की मोदी सरकार ने हटाकर आजादी के बाद के इतिहास में सबसे बड़ा ऐतिहासिक काम किया है। इससे न केवल सरदार पटेल की आत्मा को शांति मिलेगी, बल्कि हरी सिंह के सपनों को भी साकार करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को सार्थक बना दिया गया है।
अलगावादी नेता भी पाकिस्तान को देते रहे शह
आजादी के बाद से अब तक कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच 49 समझौते हो चुके हैं लेकिन वही “ढाक के तीन पात” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए पाकिस्तान बार-बार समझौतों का उल्लंघन करता रहा है। इन उल्लंघनों और पाकिस्तान के दुस्साहस के पीछे एक कारण यह अनुच्छेद 370 भी थी, जिसका सहारा लेते हुए जम्मू-कश्मीर के कुछ अलगाववादी नेता भी पाकिस्तान को शह देते आए हैं।
कश्मीर मुद्दे पर अब तक सिर्फ होती रही वार्ताएं और समझौते
पहला समझौता 29 अगस्त 1947 को लाहौर में लार्ड माउंटबेटन, जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना के बीच हुआ। इसके बाद 18 सितम्बर, 1947 को जवाहर लाल नेहरू और लियाकत अली, 28 नवम्बर को लियाकत अली और जवाहर लाल नेहरू के बीच नई दिल्ली में बैठक हुई और कई मुद्दों पर समझौते हुए।
फिर आठ दिसम्बर को 1947 को जवाहर लाल नेहरू, माउंट बेटेन, जिन्ना और लियाकत अली के बीच लाहौर में समझौता हुआ। नई दिल्ली में दो अप्रैल 1950 को नेहरू व लियाकत अली के, कराची में 26 अप्रैल को नेहरू व लियाकत अली, 20 जुलाई को नई दिल्ली में नेहरू व लियाकत अली समझौता हुआ। कराची में 25 जुलाई 1953 को नेहरू और मोहम्मद अली के बीच, 17 अगस्त को नेहरू और फिरोज खान नून के बीच कराची में, 9 सितम्बर को नई दिल्ली में नेहरू और फिरोज खान नून, 9 सितम्बर 1958 को नेहरू और फिरोज खान नून के बीच समझौते हुए।
एक सितम्बर, 1959 को नई दिल्ली में अयूब खान और नेहरू, 19 सितम्बर 1960 को कराची में नेहरू और अयूब खान, 12 अक्टूबर 1964 को करांची में अयूब खान और लाल बहादुर शास्त्री के बीच, जनवरी 1966 को ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री और अयूब खान, जुलाई 1972 को शिमला में इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो, 31 अगस्त 1972 को नेरोबी, मोरार जी देसाई और जियाउल हक, 18 अप्रैल 1980 को सेल्सबरी में इंदिरा और जियाउल हक, एक नवम्बर 1982 को नई दिल्ली में इंदिरा गांधी और जियाउल हक, 10 मार्च 1983 को नई दिल्ली में इंदिरा गांधी और जियाउल हक, 4 नवम्बर 1984 को नई दिल्ली में राजीव गांधी और जियाउल हक, 13 मार्च 1985 को मास्को में राजीव गांधी और जियाउल हक, 23 अक्टूबर 1985 को न्यूयार्क में राजीव गांधी और जियाउल हक, 18 नवम्बर 1985 को ओमान में राजीव गांधी और जियाउल, 7 दिसम्बर 1985 को ढाका में राजीव गांधी और जियाउल हक, 17 दिसम्बर 1985 को नई दिल्ली में राजीव गांधी और जियाउल हक, 15 मार्च 1986 को स्टाकहोम में राजीव गांधी और मोहम्मद खान, 17 नवम्बर 1986 को बंगलौर में राजीव गांधी और मोहम्मद खान, 21 फरवरी 1987 को नई दिल्ली में राजीव गांधी और जियाउल हक, 4 नवम्बर 1987 काठमांडू में राजीव गांधी और मोहम्मद खान, 20 अगस्त 1988 को इस्लामाबाद में आर वेंकट रमन और इशहाक खान, 29 दिसम्बर 1988 को इस्लामाबाद में राजीव गांधी और बेनजीर भूट्टो, जुलाई 1989 को इस्लामाबाद राजीव गांधी और बेनजीर भूट्टो, 22 नवम्बर 1990 माले में चंद्रशेखर और नवाज शरीफ, 24 मई 1991 को नई दिल्ली में चन्द्रशेखर और नवाज शरीफ के बीच समझौते हुए।
इसी तरह 17 अक्टूबर 1991 को हरारे में नरसिंहा राव और नवाज शरीफ, 21 दिसम्बर 1991 को कोलंबो में नरसिंहा राव और नवाज शरीफ, 2 फरवरी 1992 को दाबोस में नरसिंहा राव और नवाज शरीफ, 14 जून 1992 को रियो दि जिनरियो में नरसिंहा राव और नवाज शरीफ, 3 सिंतबर 1992 में जकार्ता में नरसिंहा राव और नवाज शरीफ, 11 अप्रैल 1993 में ढाका में नरसिंहा राव और नवाज शरीफ, दो मई 1995 को नई दिल्ली में नरसिंहा राव और फारूख अहमद, 12 मई 1997 को माले में आई के गुजराल और नवाज शरीफ, 23 सितम्बर को 1997 को न्यूयार्क में आईके गुजराल और नवाज शरीफ, 25 अक्टूबर 1997 को एडिन वर्ग में आईके गुजराल और नवाज शरीफ, 15 जनवरी 1998 को ढाका में आईके गुजराल और नवाज शरीफ, 29 जुलाई 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ, 29 सितम्बर 1998 में न्यूयार्क में अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ, 20 फरवरी 1999 में लाहौर में अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ, 15-16 जुलाई 2001 को आगरा में अटल बिहारी वाजपेयी और परवेज मुशर्रफ के बीच समझौता वार्ता हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद हर बार पाकिस्तान समझौतों के उल्लंघन करता रहा।
सोमवार को राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बदलाव को अपनी मंजूरी दे दी। इससे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के साथ ही 35-ए भी हट गई और वहां पर भारतीय कानून पूरी तरह से लागू हो गया है।