वैक्सीन के जायज-नाजायज होने पर जमात-ए-इस्लामी ने दी सफाई
नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (हि.स.)। कई माह से कोविड-19 महामारी से जूझ रहे विश्व को इसकी वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। एक साथ विकसित हो रही कई वैक्सीन अभी ट्रायल के चरण में ही हैं। इसके बावजूद मुस्लिम जगत में इसको लेकर शरई तौर पर जायज और नाजायज करार दिए जाने की बेकार की बहस छिड़ गई है। इसको लेकर जमात-ए-इस्लामी की तरफ से स्पष्टीकरण आया है।
जमात-ए-इस्लामी कोरोना वैक्सीन को लेकर कहा है कि यह एक स्वागत योग्य पहलू है और संतोषजनक बात है कि बहुत जल्द इस प्राणघातक बीमारी से सुरक्षा मिलेगा। साथ ही जमात-ए-इस्लामी का कहना है कि विभिन्न स्रोतों से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि कोरोना वैक्सीन में सूअर की चर्बी से प्राप्त अंश शामिल है। इस्लामी दृष्टिकोण से सूअर पूरे तौर पर अपवित्र है। इसके किसी भी अंश का किसी भी हैसियत से इस्तेमाल वैध नहीं है। इस आधार पर मुसलमानों में चिंता और बेचैनी पायी जाती है कि वह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं? बहुत से लोगों ने शरीया कौंसिल जमात-ए-इस्लामी हिन्द से अपील की है कि इस मामले में शरीयत के दृष्टिकोण से मार्गदर्शन किया जाए। इसलिए कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी और सचिव मौलाना रज़ीउल इस्लाम नदवी समेत अन्य इस्लामी स्कॉलरों ने इस विषय पर विचार करके इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि विभिन्न देशों में प्रयोग हो रहे हैं और अनेक कंपनियां वैक्सीन तैयार करने में लगी हुई हैं। यह बात विश्वसनीय नहीं कि हर वैक्सीन में सूअर की चर्बी शामिल है। वैक्सीन तैयार करने वाले वैज्ञानिकों और डॉक्टरों में मुसलमान भी हैं। कुछ दिनों पहले तुर्की से ख़बर आयी थी कि एक मुसलमान वैज्ञानिक जोड़े ने इसकी वैक्सीन का पता लगाया है। इस आधार पर अनुमान है कि ऐसी वैक्सीन भी खोजी जाएगी जो केवल हलाल चीज़ों से बनी है।
साथ ही जमात-ए-इस्लामी का कहना है कि इस्लाम में इंसानी जान को बहुत महत्व दिया गया है और इसकी सुरक्षा की ताकीद की गयी है। अल्लाह फरमाते हैं कि अपने आपकी हत्या न करो। इसके साथ ही कोई बीमारी होने पर इसके इलाज का आदेश दिया गया है। इस्लाम में वैध और अवैध की सीमाओं को स्पष्ट कर दिया गया है। बीमारी और सुरक्षात्मक उपायों की स्थिति में भी इसकी पाबंदी अनिवार्य की गई है। इसीलिए हदीस में दवा के तौर पर किसी हराम चीज़ के इस्तेमाल से मना किया गया है।
जिन चीज़ों को इस्लाम में हराम क़रार दिया गया है, अगर उनका स्वरूप तब्दील हो जाए तो वो अवैध नहीं रहता। इस आधार पर किसी हराम जानवर के शारीरिक हिस्से से प्राप्त जिलेटिन के इस्तेमाल को इस्लामी विद्वानों ने जायज़ क़रार दिया है। सूअर से प्राप्त जिलेटिन के बारे में कुछ विद्वानों की यही राय है।
इसके साथ ही जमात-ए-इस्लामी द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जिन वैक्सिन की तैयारी की ख़बर सार्वजनिक हुई है और जिन पदार्थों से तैयार किया गया है उसका स्रोत अभी निश्चित तौर पर ज्ञात नहीं है। निश्चित तौर पर इसका ज्ञान होने के बाद ही इसके इस्तेमाल या इस्तेमाल न करने के सिलसिले में रहनुमाई की जाएगी।