भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की जन्म और कर्मभूमि रही है बिहार, इसलिए वे हैं खांटी बिहारी

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नड्डा कहते हैं, हमने बिहार से बहुत कुछ सीखा है, यहां गर्मजोशी है, प्यार है, संस्कार है  पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे उनके पिता प्रो. नारायण लाल नड्डा



पटना, 02 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) बुधवार को 60 साल के हो गये। राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे, पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पथ निर्माण मंत्री मंगल पांडेय, भाजपा के प्रदेश महामंत्री व दीघा विधायक डॉ. संजीव चौरसिया सहित पक्ष-विपक्ष के नेताओं का बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि बिहार रही है, इसलिए वे खांटी बिहारी हैं। इसे वे स्वीकारते भी हैं।

बिहार के पटना में ही जन्म और बचपन से लेकर युवावस्था तक समय यहीं बीतने की वजह से बिहार से उनका गहरा रिश्ता है। यही कारण है कि वे बिहार की राजनीति को काफी हद तक नजदीक से समझते हैं। इसी का नतीजा है कि बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम एनडीए की झोली में है। नड्डा शुरू से खिलाड़ी रहे हैं। वे कहते भी हैं कि शुरुआत से मेरी रुचि खेल में रही है। पढ़ाई के दौरान दौड़ लगाने और स्वीमिंग का खेल खेलते थे तो उसके बाद राजनीति का। स्कूलिंग के दौरान स्वीमिंग चैंपियन रह चुके हैं और दौड़ के विजेता भी। इसीलिए विधानसभा चुनाव में उन्होंने जोरदार ढंग से भाजपा को दौड़ाया और 74 सीटों पर कमल खिला दिया। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पटना प्रवास के दौरान एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने स्वीकारा था कि जिंदगी का अहम चरण बिहार में ही बीता है। बिहार की एक अजब हवा है। इसमें गर्मजोशी है। प्यार है। संस्कार है। हमने बिहार से बहुत कुछ सीखा है।

दरअसल, जेपी नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 2 दिसम्बर, 1960 को हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा पटना के संत जेवियर और राममोहन राय सेमिनरी में हुई। उन्होंने पटना कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई की। जेपी नड्डा के पिता प्रोफेसर नारायण लाल नड्डा पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे। 1972-73 के दौर में पटना विश्वविद्यालय राजनीति का केंद्र था। यहीं पढ़ाई के दौरान उनकी राजनीतिक चेतना काफी प्रबल हो गई। इसके बाद उन्होंने आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन में शामिल बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 18 मार्च 1974 को जेपी आंदोलन में लाठियां खाई और यहीं से उनकी राजनीतिक सफर शुरू हुई।

बाद में अपने गृहराज्य हिमाचल प्रदेश चले गये। वहां से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की और उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में पहली बार छात्रसंघ का चुनाव हुआ और नड्डा 1983-1984 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1986 से 1989 तक नड्डा विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे। 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1993 में हिमाचल के बिलासपुर से वे पहली बार विधानसभा के चुनाव जीते और विपक्ष के नेता बने। फिर 1998 में विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद नड्डा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने। 2007 में बिलासपुर से विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद नड्डा को वन और संसदीय मामले का मंत्री बनाया गया। 2010 में हिमाचल के मुख्यमंत्री धूमल से मतभेद होने के बाद नड्डा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नड्डा के संगठन क्षमता और कुशल कार्यशैली को देखते हुए प्रदेश की राजनीति से बाहर निकालकर राष्ट्रीय राजनीति में जगह दी और भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया। उसके बाद जब राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्होंने भी नड्डा को राष्ट्रीय महासचिव बनाया। 2012 में नड्डा को हिमाचल से राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री बनाये गये। 2019 के आम चुनाव में दोबारा भाजपा को सत्ता मिलने के बाद जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ और उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, लेकिन तय हो गया था कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ही होंगे। इसके बाद 20 जनवरी 2020 को नड्डा को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। नड्डा भाजपा के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

बिहार से ही जेपी ने की थी कांग्रेस के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद की नींव हिलाने की शुरुआत 

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जयप्रकाश नारायण (जेपी) की जयंती पर 11 अक्टूबर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पटना के कदमकुआं स्थित जेपी आवास जाकर उन्हें नमन किया था। कहा था, मैं भाग्यशाली हूं कि जेपी की जयंती पर मुझे उनके आवास पर आने सौभाग्य मिला। यहां आकर युवा काल के दिन याद आ गये। जब मैं कॉलेज में पढ़ता था उस वक़्त देश में जेपी आंदोलन की गूंज थी। यही वह स्थल है जहां से कांग्रेस के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद की नींव हिलाने की शुरुआत जेपी ने की थी। कांग्रेस के आपात काल के दौरान जेपी को जेल में डाल दिया गया था, तब हमलोग इसी स्थान से प्रेरणा लेते थे। जेपी को यातनाएं दी गईं, लेकिन वे सच्चाई से नहीं डिगे। झुके नहीं। जेपी की गिरफ्तारी के बाद हम लोग आंदोलन को बढ़ाया करते थे।


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