आईटीबीपी का जोखिम भरा अभियान, पर्वतारोहियों के शव लाने को झोंकी पूरी ताकत

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दो सप्ताह पूर्व नंदा देवी की दुर्गम चोटी के अभियान पर निकला यह आठ सदस्यीय दल भी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गया था। तभी से सात सदस्यीय इस दल की खोज की जा रही थी।



नई दिल्ली, 02 जुलाई (हि.स.)। भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के बचाव दल ने नंदा देवी अभियान में जान गंवाने वाले पर्वतारोहियों के शव सुरक्षित लाने के लिए जान की बाजी लगा रखी है। सोमवार को लगभग 11 घंटे की लगातार मेहनत के बाद 4 पर्वतारोहियों के पार्थिव शरीर को मार्ग के सबसे ऊंचे स्थल रिज लाइन पर 18,900 फीट की ऊंचाई तक पहुंचा दिया है। आईटीबीपी के पर्वतारोही दल के द्वारा दुर्गम पहाड़ी पर शेष बचे 3 पर्वतारोहियों के पार्थिव शरीरों को कल इसी स्थान पर लाने का प्रयास किया जाएगा। एक पर्वतारोही का अभी तक कुछ पता नहीं चल सका। इसके बाद तकनीकी माउंटेनियरिंग स्किल के माध्यम से इन पार्थिव शरीरों को एक-एक करके नीचे लाया जाएगा। आईटीबीपी के जन संपर्क अधिकारी विवेक के अनुसार यदि मौसम ने साथ दिया तो कल शाम तक सभी सातों पर्वतारोहियों के पार्थिव शरीर को हेलीपैड बेस कैंप तक पहुंचा दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि दो सप्ताह पूर्व नंदा देवी की दुर्गम चोटी के अभियान पर निकला यह आठ सदस्यीय दल भी प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गया था। तभी से सात सदस्यीय इस दल की खोज की जा रही थी। जिस स्थान पर इस दल के सात सदस्यों का पता चला वह अत्यंत दुर्गम था, जहां से उनके शवों को लाने का कार्य भी बहुत जोखिम भरा था। आईटीबीपी का बचाव दल पर्वतारोहण के उच्च मानदंडों का पालन करते हुए सभी पार्थिव शरीरों को सम्मान के साथ नीचे लाने का प्रयास कर रहा है। आईटीबीपी के जन संपर्क अधिकारी ने कहा कि हमारे लिए यह अभियान तकनीकी रूप से मुश्किल और जोखिम भरा है।

आईटीबीपी का कहना है कि जब सभी पार्थिव शरीर 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बने बेस कैंप-एक तक आ जाएंगे तब वहां से हेलीकॉप्टर के माध्यम से इन्हें पहले मुनस्यारी और फिर पिथौरागढ़ ले जाया जाएगा। आईटीबीपी के पर्वतारोही रतन सिंह सोनाल, द्वितीय कमान के नेतृत्व में आईटीबीपी के पर्वतारोही पिछले लगभग 15 दिनों से पर्वतारोहियों के गुम हुए दल को ढूंढने के बाद उनके पार्थिव शरीरों को नीचे लाने के प्रयास में लगातार खराब मौसम और धरातलीय परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। यदि कल वे सभी शवों को नीचे लाने में सफल रहते हैं तो हाल के दिनों में इस प्रकार का यह अनूठा अभियान होगा, जिसमें समुद्र तल से 19000 फीट से भी ऊंचे इलाके से ऐसा एक सफल अभियान चलाया गया हो।

 


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