पर्वतारोही दल के सात सदस्यों के शव लाने में आईटीबीपी को मिली सफलता

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नई दिल्ली, 03 जुलाई (हि.स.)। नंदा देवी की जोखिम भरी यात्रा पर निकले सात पर्वतारोहियों के पार्थिव शरीर को दुर्गम चोटी से कुछ नीचे व सुरक्षित स्थान पर लाने में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों को सफलता मिल गई है। 18 हजार 900 फीट की ऊंचाई पर बर्फ से ढंकी घाटी में चलाया जा रहा यह विश्व का सबसे अनूठा बचाव अभियान है। आईटीबीपी के पर्वतारोही अपनी जान जोखिम में डालकर पर्वतारोहियों के शवों को सम्मान के साथ नीचे लाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर पर्वतोरोही विदेशी हैं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सात पर्वतारोहियों में से चार पर्वतारोहियों की पार्थिव देह को 18 हजार 900 फीट की ऊंचाई से नीचे लाकर 17 हजार फीट तक पहुंचाया गया था। यहा आईटीबीपी का बेस कैंप-2 है। आज शेष तीन पर्वतारोहियों की पार्थिव देह को भी बेसकैंप-2 तक लाया गया। 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस बेसकैंप से अब इन पर्वतारोहियों के शवों को 15 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेसकैंप-1 तक लाने का अभियान चलेगा। उसके बाद ही सेना के हेलीकॉप्टर से  इन्हें पिथौरागढ़ या मुनस्यारी लाया जा सकेगा। उम्मीद की जा रही है कि बुधवार शाम तक इन पर्वतारोहियों के शवों को नीचे तक लाया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि नंदा देवी की दुर्गम यात्रा पर निकले आठ सदस्यीय पर्वतारोही दल के सदस्य बर्फीले तूफान में फंसकर काल के गाल में समा गए। हालांकि इनमें से सात के शव मिल गए हैं और एक का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।  हेलीकॉप्टर्स से खोज अभियान चला तब 18 हजार 900 फीट ऊपर बर्फ से ढंकी एक दुर्गम घाटी में इनके शव दिखे। वहां से रस्सियों आदि के सहारे नीचे लाने का काम आईटीबीपी के पर्वतारोही बचाव दल ने किया है। वहां स्थिति इतनी विपरीत है कि कोई हेलीकॉप्टर नीचे नहीं उतर सकता है।

 


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