आईएसएफ से दूरी बनाकर रखेगी कांग्रेस गठबंधन के बावजूद
कोलकाता, 05 भारत (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का विकल्प बनने के लिए कांग्रेस ने वामदलों और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी की नवगठित पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) से गठबंधन तो कर लिया है लेकिन मंच पर एकसाथ आने से बच रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस सूत्रों ने बताया है कि फुरफुरा शरीफ के पीरजादे पर लग रहे सांप्रदायिकता के आरोपों से कांग्रेस अपनी छवि नहीं खराब करना चाहती। असम और पश्चिम बंगाल समेत अन्य चुनावी राज्यों में हिंदू मतदाताओं की नाराजगी झेलने के लिए पार्टी तैयार नहीं है। इसलिए निर्णय लिया गया है कि पश्चिम बंगाल की जिन 92 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार उतारेगी वहां चुनाव प्रचार के लिए आईएसएफ के किसी भी नेता को मंच पर जगह नहीं दी जाएगी। इसके अलावा जीत के लिए किसी तरह की मदद नहीं ली जाएगी।
दरअसल दो दिन पहले ही प्रियंका गांधी असम आई थी जहां उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए कई बड़े वादे भी किए थे और मंदिरों में दर्शन भी। उसका संदेश पश्चिम बंगाल में भी दिया गया है। चुनाव वाले राज्यों में कांग्रेस हिंदू मतदाताओं को किसी भी तरह से नाराज नहीं करना चाहती इसीलिए पश्चिम बंगाल में आईएसएएफ के साथ गठबंधन के बावजूद कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार के लिए अब्बास सिद्दिकी से प्रचार-प्रसार नहीं करवाया जाएगा। कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि बंगाल के लोगों के बीच इस गठबंधन को लेकर एकमात्र यह संदेश जाना चाहिए कि वामदलों ने आईएसएएफ को शामिल किया है, उनका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस का इस तरह का रुख गठबंधन को नुकसान पहुंचाने वाला होगा। आम लोगों के बीच यह संदेश जाएगा कि चुनाव से पहले अगर गठबंधन में शरीक दलों के बीच तालमेल नहीं है तो चुनाव के बाद यह लोगों के लिए किस तरह से काम कर सकेंगे।
294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में 130 सीटों पर माकपा चुनाव लड़ेगी जबकि 92 पर कांग्रेस, 15 पर फॉरवर्ड ब्लॉक, 11 पर आरएसपी, नौ पर सीपीआई और 37 सीटों पर आईएसएफ चुनाव लड़ने वाली है। इसके पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस 92 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी जिनमें से 44 पर जीत दर्ज की। जबकि 101 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद वामदलों को केवल 26 सीटें हासिल हुई थी।