ईरानी टिडि्डयां पाकिस्तान में कर रहीं कपास की फसल को नष्ट
अरब न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े कपास बनाने वाले प्रांत के किसान परेशान हैं। पाकिस्तान का वस्त्र उद्योग कपास आधारित है और लाखों लोगों की रोजी रोटी का साधन हैं। इसलिए पाकिस्तान यह नुकसान नहीं उठा सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से कीटनाशाक छिड़कने वाले वाहन और विमान भेजे गए हैं।
इस्लामाबाद, 24 जून (हि.स.)। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो लाख एकड़ में फैली कपास की फसल को ईरान से आईं टिडि्डयां बर्बाद कर रही हैं। यह जानकारी सोमवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
अरब न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े कपास बनाने वाले प्रांत के किसान परेशान हैं। पाकिस्तान का वस्त्र उद्योग कपास आधारित है और लाखों लोगों की रोजी रोटी का साधन हैं। इसलिए पाकिस्तान यह नुकसान नहीं उठा सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से कीटनाशाक छिड़कने वाले वाहन और विमान भेजे गए हैं।
अरब न्यूज ने एक स्थानीय किसान के हवाले से बताया है कि 25 मई को पहली बार टिडि्डयों को पहली बार देखा गया था जब ये सिंचित भूमि से 18 किलोमीटर की दूरी पर थे। अनुकूल मौसम होने के कारण इनकी संख्या में इजाफा हुआ है जिसके कारण उन्हें प्रशासन को सूचित करना पड़ा है।
पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्रालय के अधिकारी मोहम्मद तारीक खान ने बताया कि टिडि्डयाें ने जनवरी महीने में पहले सऊदी अरब और एरिट्रिया में प्रवेश किया। फरवरी में सऊदी अरब से ईरान में आए और मार्च में पाकिस्तान की ओर बढ़े। सऊदी अरब ने तुरंत नियंत्रण अभियान चलाया और शेष टिडि्डयों को ईरान की ओर खदेड़ दिया। मौसम अनुकूल होने के कारण ये ब्लूचिस्तान की ओर बढ़े। इनके यहां आने के बादअनार, तरबूज, कपास और अनाज की फसलें प्रभावित हुईं। सराकार का कहना है कि फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, पर किसानों का कहना है कि भारी नुकसान हुआ है।
बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता लियाकत शाहवानी ने कहा कि विशाल हमले के बावजूद नुकसान ज्यादा नहीं हुआ है। खरन के एक किसान ने कहा कि कीड़ों ने पेड़ तक को नहीं छोड़ा है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले टिड्डियों ने पाकिस्तान में साल 1993 और 1997 में हमला किया था।