नए भारत निर्माण के लिए संकल्प से सिद्धि में लगी है बरौनी रिफाइनरी
बेगूसराय, 29 जून (हि.स.)। नए भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संकल्प से सिद्धि योजना के तहत इंडियन ऑयल नए भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होने के लिए तेल और गैस से उर्जा की दुनिया में प्रवेश कर रही है। बीते 17 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुभारम्भ किए जाने के बाद बरौनी रिफाइनरी के विस्तारीकरण पर 8287 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
देश में स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बीएफ-सिक्स इंधन उत्पादन एवं आपूर्ति करने की लिए रिफाइनरी तत्पर है। पाइपलाइन नेटवर्क का विस्तारीकरण किया जा रहा है। क्षेत्रीय गैस ग्रिड और एलएनजी टर्मिनल के विकास में बड़े पैमाने पर निवेश किए जा रहे हैं। डीएचडीटी, प्राइम जी-प्लस और एआरयू की अतिरिक्त इकाइयों की क्षमता वृद्धि के साथ 2020 से बीएस-6 ग्रेड के एमएस और एचएसडी के उत्पादन लक्ष्य पर तेजी से काम किया जा रहा है।
रिफाइनरी विस्तारीकरण के तहत इंडजेट(एटीएफ या विमान टर्बाइन इंधन) परियोजना पर काम चल रहा है। यह नागरिक एवं सैन्य दोनों विमानन ईंधन की आवश्यकता को पूरा करेगा। हाई क्वालिटी बिटुमिन प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। रिफाइनरी की क्षमता छह से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए किया जा रहा है। पेट्रोकेमिकल की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करने के लिए 200 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन करने वाला पॉलीप्रोपलीन यूनिट लगाया जा रहा है। इससे प्लास्टिक उद्योग में क्रांति आएगी। तीन वायुमंडलीय वैक्यूम यूनिट को एक सिंगल कॉलम से बदला जाएगा, जिससे ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा और यह कच्चे तेल के आयात को कम करने में भी मददगार होगा।
परियोजना के 16 में से तीन यूनिट प्रौद्योगिकी कोकर-बी, रेजिड फ्लुडाइज्ड कैटेलिटिक क्रैकिंग यूनिट (आरएफसीसीयू) और डीजल हाइड्रो ट्रीटिंग यूनिट(डीएचडीटी) को इंडियन ऑयल के आरएंडडी केंद्र द्वारा मेक इन इंडिया के तहत स्वदेश में ही विकसित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी,1965 को तत्कालीन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री प्रो हुमायूं कबीर द्वारा एक मिलियन मैट्रिक टन शोधन क्षमता वाले बरौनी रिफाइनरी का उद्घाटन किया गया था। 1969 में इसकी क्षमता एक से बढ़ाकर तीन एमएमटीपीए कर दिया गया। इसके बाद 1999 में अटल जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में रिफाइनरी की क्षमता का नवीकरण कर तीन से छह एमएमटीपीए किया गया था। उसके बाद अब इसकी क्षमता छह से बढ़ाकर नौ एमएमटीपीए किया जा रहा है। बीआर विस्तार परियोजना के तहत 2021 तक यह क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है।
बरौनी रिफाइनरी को 1965 में असम के कम सल्फर कच्चे तेल(स्वीट क्रूड) को संसाधित करने के लिए डिजाइन किया गया था। वर्तमान में रिफाइनरी को हल्दिया के माध्यम से पूर्वी तट पर स्थित पारादीप से पाइपलाइन द्वारा कच्चा तेल प्राप्त होता है। बरौनी रिफाइनरी में विभिन्न सुधारों और विस्तार परियोजनाओं के साथ उच्च सल्फर क्रूड को संसाधित करने की क्षमता को जोड़ा गया, जो सऊदी अरब और इराक जैसे मध्य पूर्व के देशों से आयातित होता है।