नई दिल्ली, 10 जनवरी (हि.स.)। देश में इंटरनेट पर प्रतिबंध की घटना आम हो गई है। कश्मीर घाटी में गत पांच अगस्त के बाद से इंटरनेट पर प्रतिबंध है। हाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके पड़ोशी शहरों के अलावे उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल, केरल सहित उत्तर-पूर्व के राज्यों में इंटरनेट प्रतिबंध किया गया था। इंटरनेट पर प्रतिबंध से अर्थव्यवस्था को सीधा नुकसान होता है। भारत में वर्ष 2019 में 4196 घंटे के लिए इंटरनेट प्रतिबंध हुआ और करीब 1.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। घाटी में इंटरनेट प्रतिबंध पर आज सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि इंटरनेट अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है।
ब्रिटेन की टेक रिसर्च फर्म की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट प्रतिबंध का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ता है। भारत में अगर 4196 घंटे के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध लगता है तो अर्थव्यवस्था को करीब 1.3 अरब डॉलर (भारतीय रुपया में 9,000 करोड़) का नुकसान होता है। इस हिसाब से हर घंटे इंटरनेट प्रतिबंध पर करीब 2.15 करोड़ का नुकसान होता है। इंटरनेट प्रतिबंध से अर्थव्यवस्था को होनेवाले नुकसान की लिस्ट में भारत तीसरे पायदान पर है। पहले स्थान पर इराक और दूसरे नम्बर पर सूडान है।
ब्रिटिश कंपनी के मुताबिक मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध की वजह से एक कंपनी को एक राज्य में इंटरनेट प्रतिबंध से करीब 1.5 करोड़ का नुकसान होता है। जम्मू-कश्मीर में करीब 12 मिलियन (1.2 करोड़) इंटरनेट उपभोक्ता हैं। 150 जीबी डेटा के लिए मोबाइल रिचार्ज 600 रुपया का है। एक जीबी डेटा की कीमत करीब 4 रुपया हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक यूजर एक दिन में अमूमन 1 जीबी डेटा का इस्तेमाल करता है। प्रतिबंध की स्थिति में वह डेटा का इस्तेमाल नहीं कर पाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इराक में 263 घंटे के लिए इंटरनेट प्रतिबंध हुआ था और अर्थव्यवस्था को 2.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। सूडान में 1560 घंटे के लिए इंटरनेट प्रतिबंध हुआ और अर्थव्यवस्था को 1.9 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। भारत में 4196 घंटे के लिए इंटरनेट प्रतिबंध हुआ और करीब 1.3 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। 2019 में पूरे विश्व में इंटरनेट प्रतिबंध के कारण करीब आठ अरब डॉलर (56 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ। 21 देशों में इंटरनेट शटडाउन की 122 घटनाएं हुईं और करीब 18225 घंटे के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा रहा।