नई दिल्ली/वाशिंगटन, 16 अक्टूबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(आईएमएफ) ने कहा है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था वर्ष 2008 के गंभीर आर्थिक संकट के बाद से वर्ष 2019 में सबसे निराशाजनक दौर से गुजर रही है। इस दौरान आर्थिक वृद्धि दर 3 फीसदी रहने का अनुमान है। आईएमएफ ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में ये बात कही है। आईएमएफ ने कहा है कि भारत भी अन्य देशों की तरह आर्थिक मंदी की दौर से गुजर रहा है, जिसके कारण आर्थिक वृद्धि की दर वर्ष 2019 में 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है, जो कि जुलाई में लगाए गए अनुमान से 0.9 फीसदी कम है।
हालांकि उसका यह भी कहना है कि इसके बावजूद भारत विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देश में सबसे अधिक आर्थिक वृद्धि की दर हासिल करने वाले देश के रूप में अपना खिताब बरकरार रखेगा लेकिन इस वर्ष इस उपलब्धि में भारत को चीन को साझा करना पड़ेगा, जिसकी आर्थिक वृद्धि दर भी 6.1 फीसदी रहेगी। आईएमएफ के अनुसार वर्ष 2020 में भारत फिर से अव्वल दर्जा हासिल कर लेगा। इस दौरान उसकी आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी रहेगी, जबकि चीन पिछड़कर 5.8 फीसदी पर रह जाएगा। विश्व अर्थव्यवस्था भी वर्ष 2020 में कुछ सुधरेगी और आर्थिक वृद्धि दर 3.4 फीसदी हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि आईएमएफ ने अप्रैल में भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019 में 7.3 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था। हालांकि, तीन महीने बाद जुलाई में इसने भारत के लिए धीमी वृद्धि दर की संभावना जताई थी। इसके बाद (सकल घरेलू उत्पाद) जीडीपी वृद्धि दर को 7.3 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया था।
दरअसल, 2018 में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 6.8 फीसदी थी। आईएमएफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनुमान जताते हुए कहा है कि भारत की वृद्धि दर 2019 में 6.1 फीसदी रहेगी और अगले साल 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ इसकी वृद्धि दर 7.0 रहेगी। इससे पहले विश्व बैंक ने भी अपने ताजा अनुमान में भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 2019 के लिए घटाकर 6 फीसदी किया है। 2018 में विश्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर 6.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।
विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर 2.4 फीसदी, जर्मनी की 0.5 फीसदी और जापान की 0.9 फीसदी वृद्धि दर रहने का अनुमान आईएमएफ ने जताया है।