नई दिल्ली, 07 नवम्बर (हि.स.)। समुद्री परीक्षण के दौर से गुजर रहे स्वदेशी आईएनएस विक्रांत को 2021 तक नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने की योजना है। बंदरगाह परीक्षण के दौरान इसी जहाज के कंप्यूटर हार्डवेयर, प्रोसेसर और कई महत्वपूर्ण पुर्जे चोरी करके ‘ओएलएक्स’ कंपनी में महज 7 हजार रुपये में बेच दिए गए जिसका खुलासा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी 9 माह की जांच में किया है। जहाज की पेंटिंग करने वाले दो कर्मचारियों ने भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से कंप्यूटर सिस्टम चोरी किया था। दोनों को गिरफ्तार करके इनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है।
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) आईएनएस विक्रांत का निर्माण 28 फरवरी, 2009 से कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में शुरू किया गया। दो साल में निर्माण पूरा होने के बाद विक्रांत को 12 अगस्त, 2013 को लॉन्च कर दिया गया। इसे बंदरगाह परीक्षण के लिए 10 जून, 2015 को समुद्र में उतार दिया गया, जो पिछले माह पूरा हुआ है। 2020 के अंत तक समुद्री परीक्षण चलेंगे और इसके बाद 2021 तक आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने की योजना है। यह भारत में निर्मित होने वाला पहला विमानवाहक पोत है। बंदरगाह परीक्षण के दौरान जुलाई और सितम्बर, 2019 के बीच आईएसी परियोजना के उप महाप्रबंधक श्रीकुमार राजा ने जहाज के 20 से अधिक महत्वपूर्ण कंप्यूटर हार्डवेयर, प्रोसेसर और कई महत्वपूर्ण पुर्जे चोरी होने की सूचना स्थानीय पुलिस को दी।
केरल पुलिस की जांच में कोई नतीजा न निकलने पर इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई। एजेंसी ने 26 सितम्बर, 2019 को प्राथमिकी दर्ज करके जांच शुरू की। एनआईए ने जांच में पाया कि जहाज के प्रभावित मल्टी फंक्शनल कंसोल ने 24 अगस्त, 2019 को ठीक से काम किया था लेकिन 28 अगस्त को समस्या होने लगी। इसलिए 24 से 28 अगस्त के बीच कोचीन शिपयार्ड में काम करने वाले इनलेमेक कंपनी के ठेकेदारों, पर्यवेक्षकों और श्रमिकों को जांच के घेरे में लिया गया। एनआईए ने 3,628 संविदा कर्मचारियों, इनलेमेक के 176 कर्मचारियों और 195 आईएसी ठेकेदारों के फिंगर प्रिंट लेकर जांच की। सभी के बयान दर्ज किये गए और आवाज का मिलान किया गया।
एनआईए ने इस घटना के बाद भारत छोड़ने वाले 22 व्यक्तियों की निगरानी वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) प्लेटफॉर्म के माध्यम से की लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा। इसके अलावा परियोजना से जुड़े रहे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के पूर्व कर्मचारियों के बारे में तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्यों में जांच की। अभी तक की जांच अंधेरे में होने पर एनआईए ने इस मामले की जानकारी देने वाले को 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की। इस मामले में सफलता 3 जून को मिली, जब आईएनएस विक्रांत पर एक साल तक पेंटिंग का काम करने वाली कंपनी मैक्स्वे इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स के मालिक ने बताया कि उनके कुछ कर्मचारी इस चोरी में शामिल थे।
कोच्चि में सिंगल डिजिट फ़िंगरप्रिंट ब्यूरो के फ़िंगरप्रिंट विशेषज्ञों ने 5 जून को बताया कि मैक्सवे इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स के कर्मचारी सुमित कुमार सिंह और दयाराम के फिंगर प्रिंट समान पाए गए हैं। इस पर एनआईए ने सुमित कुमार सिंह और दया राम पर तकनीकी निगरानी की। 9 जून को एनआईए की टीमों ने मुंगेर (बिहार) से सुमित कुमार सिंह को और हनुमानगढ़ (राजस्थान) से दया राम को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। दोनों ने जुलाई और सितम्बर के बीच आईएनएस विक्रांत से चोरी करने की बात भी कबूल कर ली। सुमित के कबूलनामे के बाद एनआईए की टीम ने सूरत (गुजरात) में उसके बड़े भाई के घर पर तलाशी ली और एक प्रोसेसर को छोड़कर बाकी चोरी हुई संपत्ति को बरामद कर लिया।
पूछताछ के दौरान दोनों ने एनआईए को बताया कि पुराने सामान खरीदने-बेचने वाली ऑनलाइन कंपनी ओएलएक्स के जरिए एर्नाकुलम जिले में फ्रीलांस ग्राफिक डिजाइनर को प्रोसेसर बेचा था। इस पर एनआईए ने ओएलएक्स पर डेटा की जांच करके खरीददार के कंप्यूटर से प्रोसेसर बरामद किया गया। जांच में पता चला कि सुमित ने खुद ग्राफिक डिजाइनर के कंप्यूटर में उस प्रोसेसर को स्थापित किया था। एनआईए ने दोनों आरोपितों का जुलाई में पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया और 4 सितम्बर को दोनों के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 66 एफ, साइबर आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा के तहत कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी।