नई दिल्ली, 13 नवम्बर (हि.स.)। भारत और फ्रांस की थल सेनाओं के बीच द्विवार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास ”युद्धाभ्यास शक्ति” का छठा संस्करण 15 नवम्बर से फ्रेजस, फ़्रांस में शुरू होगा जो 26 नवम्बर तक चलेगा। इस युद्धाभ्यास में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया जाना है, जिसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना है।
दोनों देशों के बीच तीन द्विवार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास होते हैं, जिनमें भारतीय वायु सेना के साथ अभ्यास गरुड़, भारतीय नौसेना के साथ अभ्यास वरुण और भारतीय सेना के साथ अभ्यास शक्ति हैं। रविवार से शुरू हो रहे द्विपक्षीय अभ्यास में गोरखा राइफल्स इन्फैंट्री बटालियन की एक प्लाटून भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व करेगी। इसी तरह फ्रांसीसी पक्ष का प्रतिनिधित्व छठी लाइट आर्म्ड ब्रिगेड की 21वीं मरीन इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिक करेंगे।
गोरखा राइफल्स दल की भारतीय टुकड़ी के पास 68 वर्षों के गौरवशाली इतिहास के साथ अपनी सैन्य वीरता और सर्वोच्च बलिदान की समृद्ध विरासत है। पाकिस्तान के साथ वर्ष 1971 के युद्ध में उनका योगदान बैटल ऑनर शिंगो रिवर वैली और जम्मू-कश्मीर के थिएटर ऑनर से मान्य है। अभ्यास शक्ति का पिछला संस्करण 31 अक्टूबर से 13 नवंबर 2019 तक महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (राजस्थान) के फॉरेन ट्रेनिंग नोड में आयोजित किया गया था।
युद्धाभ्यास में शामिल हो रही फ्रांसीसी सेना की टुकड़ी को 1831 में दूसरी मरीन इन्फैंट्री रेजिमेंट के नाम से खड़ा किया गया था। 1901 में इसका नाम बदलकर 21वीं मरीन इन्फैंट्री रेजिमेंट कर दिया गया। इसका 120 से अधिक वर्षों का एक शानदार अभियानगत इतिहास है और इसने फ्रांसीसी सेना के सभी प्रमुख युद्धों में भाग लिया है। यह रेजिमेंट जल, थल एवं नभ युद्ध में माहिर है। इसके पास अफ्रीका, यूगोस्लाविया, अफगानिस्तान और माली के विभिन्न अभियानों में शामिल होने का अनुभव है।
”युद्धाभ्यास शक्ति” के दौरान अर्ध-शहरी इलाके की पृष्ठभूमि में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना है। युद्धाभ्यास शक्ति के पिछले संस्करण में भी अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों का अभ्यास और सत्यापन किया गया था।