नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (हि.स.)। चीनी सैनिकों ने 59 साल पहले ठीक आज के दिन 1962 में मैकमोहन रेखा को पार करके लद्दाख में एक साथ आक्रमण शुरू किया, जिसके बाद भारत के साथ चीन का पहला युद्ध शुरू हुआ। एक माह तक ठंड के दिनों में लड़ी गई इस जंग को चीन ने खुद ही 20 नवम्बर को रोककर युद्ध विराम की घोषणा कर दी थी। डेढ़ साल से एलएसी पर भारत के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान चीन के लिए पिछले साल भी ठंड का मौसम जानलेवा बना था। अब फिर पूर्वी लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियां जमने को तैयार हैं तो चीन के लिए एक बार फिर भारत से ज्यादा असली दुश्मन मौसम बन गया है।
भारत और चीन के बीच 1962 का युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए जाना जाता है। इसमें ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस प्रकार की परिस्थितियों ने दोनों पक्षों के सामने रसद और अन्य समस्याएं पैदा कीं। इस युद्ध में दोनों पक्ष ने नौसेना या वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया था। इसके विपरीत चीन के साथ सन 1962 के युद्ध में मात खाने वाली भारतीय सेना ने 59 साल बाद मौजूदा टकराव के दौरान खासकर उन्हीं मोर्चों पर खुद को मजबूत किया है, जहां-जहां से उसे हार मिली थी। पिछले युद्ध में चीन ने पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों का इस्तेमाल करके भारत को शिकस्त दी थी लेकिन इस बार भारत की सेना दोनों मोर्चों पर मजबूत है।
कारगिल में 18 हजार फीट ऊंची बर्फ की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का अनुभव रखने वाली भारतीय सेना के लिए लद्दाख की खून जमा देने वाली बर्फीली पहाड़ियां कोई मायने नहीं रखतीं। फिलहाल 13वें दौर की वार्ता के बाद भी चीन से तनातनी खत्म होती नहीं दिखती, इसलिए भारतीय सेना ने ठंड के दिनोंं में भी चीनियों से एक बार फिर मोर्चा संभालने के इरादे से खुद को तैयार कर लिया है। दूसरी तरफ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को आने वाली सर्दी ने सतर्क रहने की याद दिला दी है। ठंड के दिनों में बर्फबारी शुरू होते ही अक्टूबर के अंत से चार महीनों के लिए सड़क मार्ग बंद हो जाएंगे, इसलिए इससे पहले ही चीन ने उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती के साथ ही जरूरी सामान जुटाना शुरू कर दिया है।
चीनी खेमे में सबसे बड़ी चिंता आने वाली सर्दियों को लेकर ही है। भारत के साथ सीमाओं की देखरेख करने वाली पीएलए की वेस्टर्न थिएटर कमांड ने सर्दियों के लिए एलएसी के साथ फ्रंटलाइन ऑब्जर्वेशन पोस्ट में अनाज का भंडारण बढ़ा दिया है। चार महीने तक सैनिकों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन, पानी और अन्य आपूर्ति पहाड़ों में सैनिकों के स्टेशनों तक पहुंचाई जा रही है क्योंकि नवंबर से यातायात में कटौती की जाएगी। पीएलए सैनिकों को पहली प्राथमिकता के रूप में सिखाया जा रहा है कि सर्दियों के दौरान अपने दम पर कैसे जीवित रहना है क्योंकि ठंड के दिनों में मोर्चों पर तैनाती का अनुभव न रखने वाले चीनी सैनिक अभी से कमजोर पड़ने लगे हैं।