स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती में लगा है भ‍िलाई स्‍टील प्‍लांट का इस्पात

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देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा भिलाई इस्पात संयंत्र



दुर्ग, 25 अक्टूबर (ह‍ि.स.)। छत्‍तीसगढ़ के दुर्ग ज‍िले का भिलाई इस्पात संयंत्र पूरे प्रदेश के लोगों के लिए गौरव है। इस स्‍टील प्‍लांट को फिर एक गौरवशाली मुकाम हासिल हुआ जब 22 अक्टूबर को देश में बनी कमोर्टा क्लास की चार पनडुब्बी रोधी युद्धपोत (एएसडब्ल्यू) में से आखिरी आईएनएस कवरत्ती को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। यह युद्धपोत इसी भिलाई इस्पात संयंत्र के लोहे से बना है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के महाप्रबंधक जनसंपर्क विभाग जैकब कुरियन ने रव‍िवार को ह‍िन्‍दुस्‍थान समाचार को बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र को आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भविष्य में भी अवसर मिलेगा तो अवश्य ही देश के लिए कार्य करेंगे। भिलाई इस्पात संयंत्र सहित संपूर्ण सेल बिरादरी के लिए यह गर्व का विषय है कि मेड इन इंडिया के तहत निर्मित कमोर्टा क्लास के चार जंगी जहाजों के निर्माण में बीएसपी के प्लेट मिल से निर्मित 4700 टन डीएमआर प्लेटों का उपयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त 865 टन डीएमआर प्लेट राउरकेला स्टील प्लांट तथा 7200 टन बोकारो स्टील प्लांट से उत्पादित इस्पात का प्रयोग इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजना में किया गया है। एक युद्धपोत के निर्माण में लगभग 2500 टन स्टील प्रयुक्त होता है। इससे पूर्व भी बीएसपी व आरएसपी ने युद्धपोत निर्माण के लिए डीएमआर प्लेटों की आपूर्ति की है।

 


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