भारतीय रेल के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहींः पीयूष गोयल
निजी कंपनियों द्वारा रेल लाइन बिछाए जाने जैसे भारी निवेश वाले कार्यों में रुचि नहीं लेने संबंधी सवाल के जवाब में रेलमंत्री ने कहा, मौजूदा भारतीय रेलवे नेटवर्क से बंदरगाहों, खानों और औद्योगिक क्लस्टरों के लिए प्रथम छोर से अंतिम छोर तक संपर्कता मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) संबंधी प्रतिस्पर्धा नीति पर परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि निजी कंपनियों के हाथों चलाने के लिए अभी तक किसी भी विशिष्ट यात्री गाड़ी की पहचान नहीं की गई है। गोयल ने गुरुवार को लोकसभा में यात्री रेलगाड़ियां चलाने के लिए निजी कंपनियों की सेवाएं लेने संबंधी एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, बहरहाल यात्रियों को विश्वस्तरीय सेवाएं मुहैया कराने के लिए भारतीय रेल द्वारा यात्री रेलगाड़ियां चलाने के लिए निजी कंपनियों की भागीदारी सहित विभिन्न विकल्पों की जांच की जा रही है। एक अन्य सवाल के जवाब में रेलमंत्री ने कहा है कि भारतीय रेल के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है।
लोक सेवाओं के व्यापक निजीकरण से गरीब वर्ग को होने वाले सबसे अधिक नुकसान संबंधी एक अन्य सवाल के जवाब में गोयल ने कहा, सितंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर होने वाले निजीकरण की चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है। बहरहाल, भारतीय रेल के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है।
निजी कंपनियों द्वारा रेल लाइन बिछाए जाने जैसे भारी निवेश वाले कार्यों में रुचि नहीं लेने संबंधी सवाल के जवाब में रेलमंत्री ने कहा, मौजूदा भारतीय रेलवे नेटवर्क से बंदरगाहों, खानों और औद्योगिक क्लस्टरों के लिए प्रथम छोर से अंतिम छोर तक संपर्कता मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) संबंधी प्रतिस्पर्धा नीति पर परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने बताया कि इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू), राज्य सरकार और निजी उद्योग सहित सामरिक भागीदार आगे आए हैं और संयुक्त उद्यम विशेष प्रयोजन परियोजना (एसपीवी) में निवेश किया गया है।