नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमजोर पड़ते ही शहरों में चरणबद्ध तरीके से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके चलते प्रवासी श्रमिकों ने अपने कार्यस्थलों की ओर लौटना शुरू कर दिया है। ऐसे में भारतीय रेलवे एक बार फिर उनके लिए एक सस्ता और तीव्र साधन बनकर मदद के लिए आगे आया है।
रेल मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि पिछले 7 दिनों के दौरान (11-17 जून) प्रवासी श्रमिकों और अन्य यात्रियों सहित लगभग 32.56 लाख यात्रियों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा से दिल्ली, मुंबई, पुणे, सूरत, अहमदाबाद और चेन्नै क्षेत्रों सहित विभिन्न गंतव्यों के लिए लंबी दूरी की मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में (ट्रेनों की औसत क्षमता 110.2%) से यात्रा की।
बिहार, उप्र, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से प्रतिदिन औसतन 51 ट्रेनें महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लिए जाती हैं। वहीं प्री-कोविड दिनों में इन रूटों पर प्रतिदिन औसतन 57 ट्रेनें संचालित होती हैं।
बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और ओडिशा राज्यों से मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नै आदि महानगरों में प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए, भारतीय रेलवे मेल व एक्सप्रेस स्पेशल, हॉलिडे स्पेशल और समर स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहा है।
इन सभी ट्रेनों को कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पूर्ण रूप से आरक्षित ट्रेनों के रूप में संचालित किया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने 18 जून तक 983 मेल, एक्सप्रेस और हॉलिडे स्पेशल को संचालित किया है। इसके अलावा कार्यस्थलों पर लौटने के इच्छुक लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए लगभग 1,309 ग्रीष्मकालीन स्पेशल ट्रेनें भी संचालित की हैं। ये समर स्पेशल मुख्य रूप से बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम जैसे राज्यों से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, बेंगलुरु आदि प्रमुख शहरों से कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं।
अगले 10 दिनों के लिए यानी 19 से 28 जून तक प्रवासी श्रमिकों और अन्य यात्रियों सहित लगभग 29.15 लाख यात्रियों को पूर्वी उप्र, बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा जैसे क्षेत्रों से दिल्ली, मुंबई, पुणे, सूरत, अहमदाबाद और चेन्नै क्षेत्रों सहित विभिन्न गंतव्यों के लिए लंबी दूरी की मेल एक्सप्रेस ट्रेनों को बुक किया है।
जोनल रेलवे विभिन्न उद्योग संघों और व्यावसायिक घरानों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रही है ताकि मांग का पता लगाया जा सके और उसी के अनुसार श्रमिकों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाया जा सके।