नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु ऊर्जा वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट तीन साल के समुद्री परीक्षणों के बाद अब इस वर्ष के अंत तक समंदर में गोते लगाने के लिए तैयार है। यह अरिहंत श्रेणी की भारत द्वारा निर्मित की गई दूसरी पनडुब्बी है। इसे विशाखापत्तनम में जहाज निर्माण केंद्र पर परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है।
नौसेना में 3 साल के समुद्री परीक्षण पूरे
भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत की लांचिंग 2009 में हुई थी। व्यापक समुद्री परीक्षण पूरे करने में 9 साल लगने के बाद अगस्त 2016 में इसे समुद्र में उतारा गया था। आईएनएस अरिहंत के मुकाबले आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दोगुनी होगी, जिससे भारत को ‘पानी के युद्ध’ में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी। पहले जनवरी 2012 में घोषणा की गई थी कि इसे 2012 के अंत या 2013 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद दिसम्बर, 2014 में बताया गया कि दूसरे परमाणु उप-रिएक्टर का काम शुरू हो गया है और संभवतः 2016 की शुरुआत में इसे लॉन्च किया जाएगा लेकिन इसकी लांचिंग 2017 में हो पाई। इस पनडुब्बी को मूल रूप से आईएनएस अरिदमन के नाम से जाना जाता था लेकिन इसके लॉन्च होने पर इसे आईएनएस अरिघाट नाम दिया गया था। भारतीय नौसेना में 3 साल के समुद्री परीक्षणों के बाद अब भारत की दूसरी परमाणु ऊर्जा वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट समुद्र की गहराइयों में उतरने के लिए तैयार है।
अरिहंत श्रेणी की दूसरी मिसाइल पनडुब्बी
पनडुब्बी के ब्लेड प्रोपेलर जल रिएक्टर से संचालित होंगे। यह पनडुब्बी पानी की सतह पर 12-15 समुद्री मील (22-28 किमी/घंटा) की अधिकतम गति से चल सकती है और समुद्र की गहराई में 24 समुद्री मील (44 किमी/घंटा) की गति प्राप्त कर सकती है। इस पनडुब्बी के कूबड़ पर आठ लांच ट्यूब होंगे। यह 750 किमी. रेंज वाली 24के–15 सागरिका मिसाइलों या 3,500 किमी. की रेंज वाली 8के-4 मिसाइल तक ले जा सकती है। अरिहंत श्रेणी भारतीय नौसेना के लिए बनाई जाने वाली परमाणु शक्ति वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों की एक श्रेणी है। इन परमाणु-शक्ति वाली पनडुब्बियों को 2.9 बिलियन डॉलर वाली उन्नत टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत डिजाइन और निर्मित किया गया है। इस श्रेणी का प्रमुख पोत आईएनएस अरिहंत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के अलावा किसी अन्य देश द्वारा बनाई जाने वाली पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी थी।