नई दिल्ली, 15 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय नौसेना ने लाल सागर में सूडानी नौसेना के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास किया। 2000 के दशक में एक मजबूत ऊर्जा साझेदारी के निर्माण के बावजूद यह पहली बार था जब भारतीय और सूडानी नौसेनाओं ने इस तरह का अभ्यास किया। भारतीय पक्ष से आईएनएस तबर ने सूडानी जहाजों अल्माज और निमाड़ के साथ अभ्यास में भाग लिया। सूडान के अलावा आईएनएस तबर भूमध्य सागर में मिस्र की नौसेना के साथ पहले ही नौसैनिक अभ्यास कर चुका है। रणनीतिक महत्व से महत्वपूर्ण यह दोनों अभ्यास भारतीय नौसेना का समुद्री दायरा बढ़ने की ओर इशारा करते हैं।
इस अभ्यास में नौसेना संचालन की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने वाली कई गतिविधियां शामिल की गईं जैसे ‘समन्वयित युद्धाभ्यास, समुद्र में पुनःपूर्ति (आरएएस) ड्रिल, हेलो ऑपरेशन, समुद्र में संदिग्ध जहाजों को रोकने के लिए संचालन और संचार प्रक्रियाएं। दोनों नौसेनाओं के बीच भविष्य में होने वाले समुद्री खतरों के खिलाफ संयुक्त अभियानों का प्रदर्शन किया गया। इस समय आईएनएस तबर यूरोप और अफ्रीका में है। सूडान के अलावा उसने भूमध्य सागर में मिस्र की नौसेना के साथ नौसैनिक अभ्यास भी किया है। मिस्र और सूडान लाल सागर की भू-राजनीति में महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और स्वेज नहर के साथ निकटता के कारण सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक के साथ स्थित हैं। रणनीतिक महत्व से महत्वपूर्ण यह दोनों अभ्यास भारतीय नौसेना का समुद्री दायरा बढ़ने की ओर इशारा करते हैं।
लाल सागर भू-राजनीति
लाल सागर पश्चिम एशिया को अफ्रीका से जोड़ता है और एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक स्थान है जहां खाड़ी शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता देखी जा रही है। लाल सागर बाब-अल-मंडेब और स्वेज नहर की जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर को भूमध्य सागर से भी जोड़ता है। वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए यह महत्वपूर्ण जलमार्ग है, इसीलिए बड़ी मात्रा में तेल और व्यापार लाल सागर से होकर गुजरता है। स्वेज नहर की हालिया रुकावट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए लाल सागर और स्वेज नहर की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है।
भारतीय नौसेना की मौजूदगी
भारतीय नौसेना ने भी समुद्री डकैती रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय नौसेना ऐसी समुद्री शक्ति है जिसमें उत्तर पश्चिमी हिंद महासागर के उप-थियेटर सहित हिंद महासागर में क्षेत्रीय सुरक्षा के रखरखाव में योगदान करने की इच्छा है। इन वर्षों में भारत अदन की खाड़ी और दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में अपनी समुद्री उपस्थिति को नियमित करने में कामयाब रहा है। समय-समय पर भारत ने इस क्षेत्र के तटवर्ती राज्यों को अति आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान की है। भारत ने इस क्षेत्र में खुद को ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में भी स्थान दिया है।