नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (हि.स.)। फ्रांसीसी रक्षा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने भारतीय वायुसेना को लड़ाकू राफेल देने के बाद नौसेना के लिए ‘राफेल मरीन’ देने की पेशकश की है। नौसेना भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत को अपने बड़े में शामिल करने से पहले रूसी मिग-29के को बदलना चाहती है। इसलिए 2022 की शुरुआत में राफेल विमान का नौसैनिक संस्करण लाए जाने की संभावना है, ताकि स्की-जंप करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया जा सके।
रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि नवम्बर, 2016 में 36 लड़ाकू राफेल विमानों का सौदा होने के बाद से डसॉल्ट एविएशन भारतीय नौसेना के साथ ‘राफेल मरीन’ का सौदा करने पर नजर गड़ाए हुए है। दरअसल, नौसेना ने 2017 में 57 नए लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी कंपनियों को सूचना के लिए अनुरोध (आरएफआई) जारी किया था। तभी से कंपनी भारत में राफेल एम विमानों की क्षमता का प्रदर्शन करना चाहती है। शोकेस के दौरान राफेल एम विमानवाहक पोत से नहीं बल्कि आईएनएस हंसा, गोवा में तट-आधारित परीक्षण सुविधा (एसबीटीएफ) से उड़ान भरेगा। सूत्रों ने कहा कि अभी प्रदर्शन की तारीख तय नहीं हुई है लेकिन डसॉल्ट ने जरूरत पड़ने पर जनवरी, 2022 की शुरुआत में राफेल एम लाने की पेशकश की है।
कंपनी के मुताबिक कैरियर-आधारित लड़ाकू विमान मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में आते हैं, जिसमें पहला शॉर्ट टेक-ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग, दूसरा-शॉर्ट टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी और तीसरा कैटापल्ट टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी है। फ्रांसीसी विमानवाहक पोत चार्ल्स डी गॉल और अमेरिकी वाहक टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी का उपयोग करते हैं, जबकि भारतीय वाहक आईएनएस विक्रमादित्य दूसरी श्रेणी का उपयोग करते हैं। दरअसल, स्की-जंप टेक-ऑफ के बाद कुछ सेकंड के लिए लड़ाकू विमान का व्यवहार सफल प्रक्षेपण प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
इससे पहले डसॉल्ट एविएशन की मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिकी कंपनी बोइंग इंडिया भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों के लिए अपने एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान का आधिकारिक तौर पर इस साल अगस्त में स्की जंप परीक्षण का प्रदर्शन कर चुकी है। कंपनी की ओर से जारी आधिकारिक वीडियो में दिखाया गया है कि यूएस के नेवल एयर स्टेशन में पेटक्सेंट रिवर के किनारे सुपर हॉर्नेट शॉर्ट टेकऑफ़ लेकिन अरेस्ट रिकवरी सिस्टम से सफलतापूर्वक लॉन्च हो रहा है। यह डेक आधारित लड़ाकू जेट आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत से भी लॉन्च किया जा सकता है।
भारतीय नौसेना मौजूदा समय में मिग-29के का उपयोग कर रही है, लेकिन इन विमानों में रखरखाव, सेवा उपलब्धता और तकनीकी कठिनाई से संबंधित कई मुद्दे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले एक वर्ष में तीन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। आईएनएस विक्रांत फिलहाल समुद्री परीक्षण के अंतिम चरण में है और 2022 तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) खुद ट्विन-इंजन कैरियर-आधारित डेक फाइटर पर काम कर रहा है, जिसे विमानवाहक पोत से लॉन्च किया जा सकता है। पिछले साल नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भी मिग-29के बदलने के लिए मल्टी-रोल कैरियर-बोर्न फाइटर्स का मामला उठाया था।