नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय नौसेना की हिन्द महासागर में पनडुब्बी रोधी क्षमताएं उस समय और मजबूत हो जाएंगी जब बोइंग पी-8 आई विमान का दूसरा जत्था अगले महीने के पहले सप्ताह में आईएनएस हंसा में उतरेगा। हिन्द महासागर और अरब सागर में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की बढ़ती घुसपैठ के बीच अमेरिका 4 नए बोइंग पी-8 आई निगरानी विमानों का दूसरा जत्था भारत को सौंपने जा रहा है। इस तरह के 8 विमान पहले से भारतीय नौसेना के बेडे़ में मौजूद हैं। 4 और विमान आने के बाद नौसेना की समुद्र में पनडुब्बी रोधी निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग क्षमता बढ़ जाएगी।
अमेरिका के नए पी-8 आई विमान हंटर नाम से प्रसिद्ध हैं। अब दूसरी खेप में मिल रहे 4 नए पी-8 आई विमानों को भारत के पश्चिमी तट पर गोवा में हंसा नेवल बेस पर तैनात किया जाएगा। ये विमान भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ाएंगे और साथ ही पूरे हिन्द महासागर और अरब सागर में अब भारत के लिए चीन या पाकिस्तान की पनडुब्बियों का शिकार करना आसान हो जाएगा। हिन्द महासागर क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण चोक पॉइंट्स पर निगरानी रखने के लिए भारत ने वर्ष 2012 में अमेरिका से 12 पी-8 आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी विमानों का 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में सौदा किया था। इनमें से 8 टोही विमानों की आपूर्ति पहले ही की जा चुकी है। भारत के पास पहले से मौजूद इन पी-8 आई विमानों को तमिलनाडु के अरक्कोनम में तैनात किया गया है। अत्याधुनिक रडार से लैस ये विमान जरूरत पड़ने पर चीनी सीमा पर लद्दाख और पूर्वोत्तर में भी भेजे जाते हैं।
भारत के पास बोइंग कम्पनी से अभी छह और पी-8 आई विमान खरीदने का विकल्प है, जिस पर 2021 में बातचीत होगी। अमेरिकी कंपनी बोइंग ने पनडुब्बियों का शिकार करने के लिए इन विमानों को मार्क-54 तारपीडो, मार्क-84 डेप्थ चार्ज और घातक बमों से लैस किया है। इसके अलावा इस विमान में एजीएम-84 हार्पून एंटी शिप मिसाइलें भी लगाई गई हैं। पी-8 आई को कैरियर बैटल ग्रुप की सुरक्षा के लिए भी तैनात किया जा सकता है। पी-8 आई में मैगनेटिक अनोमली डिटेक्शन सिस्टम (मैड) लगा है जो पानी के अंदर छिपी पनडुब्बियों को खोज निकालता है। इसके अलावा इसमें कई ऐसे रडार लगे हैं जो लंबी दूरी तक नजर रखने और जासूसी करने में सक्षम हैं। यह विमान 789 किमी प्रतिघंटा की गति से करीब 40 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है।
भारत को पी-8 आई विमानों की आपूर्ति ऐसे समय हो रही है जब चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियां बहुत तेजी से हिन्द महासागर और अरब सागर में अपनी पहुंच बढ़ा रही हैं। चीन भी समुद्री डकैतों के नाम पर हिन्द महासागर में बहुत तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है। हालांकि भारतीय नौसेना ने अक्टूबर 2008 से अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्त शुरू की थी। नौसेना हिन्द महासागर क्षेत्र में हर चोक पॉइंट पर हर समय एक जहाज तैनात रखती है। इससे भारतीय ध्वजवाहक जहाजों को आगे बढ़ाने के अलावा हिन्द महासागर से गुजरने वाले अन्य देशों के जहाजों को भी सुरक्षा दी जाती है। समुद्री लुटेरों से बचाने के लिए अन्य देशों के जहाजों को उनके देश की समुद्री सीमा तक पहुंचाने में भी भारतीय नौसेना मदद करती है। इसी का नतीजा है कि अब तक कोई भी जहाज समुद्री लुटेरे अपहृत नहीं कर पाए हैंं।
नौसेना के जहाजों की तीन-तीन माह के लिए तैनाती होती है। नौसेना ने समुद्री डकैती रोकने के लिए ‘पी-8आई’ लॉन्ग रेंज मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट’ तैनात कर रखा है। यह लंबी दूरी की पनडुब्बी-रोधी वारफेयर, एंटी-सरफेस वारफेयर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और टोही विमान हैं और व्यापक क्षेत्र, तटीय तथा समुद्री परिचालन में सक्षम हैं। लॉन्ग रेंज पनडुब्बी रोधी, सतह रोधी, खुफिया, निगरानी और टोही विमानों का उपयोग समुद्री और तटीय युद्ध कार्रवाइयों के लिए किया जाता है। अरब सागर क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की घुसपैठ बढ़ रही है, जिसको ध्यान में रख कर भारत को अपना शिकारी अब इस क्षेत्र में उतारना पड़ेगा जो भारत और चीन में तनाव के बीच भारत की जल सेना को मजबूती देगा।
भारतीय नौसेना ने गुरुवार को ही कोच्चि में 3 महिला पायलटों के पहले बैच का संचालन किया है। नौसेना के महिला पायलेट्स के पहले बैच में नई दिल्ली के मालवीय नगर से लेफ्टिनेंट दिव्या शर्मा, तिलहर, उत्तर प्रदेश से लेफ्टिनेंट शुभांगी स्वरूप और मुजफ्फरपुर, बिहार से लेफ्टिनेंट शिवांगी हैं। तीनों महिला पायलट डॉर्नियर ऑपरेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग (डीओएफटी) कोर्स का हिस्सा थीं। इन पायलटों ने भारतीय वायु सेना और आंशिक रूप से डीओएफटी पाठ्यक्रम से पहले नौसेना के साथ बुनियादी उड़ान प्रशिक्षण लिया था। अब अमेरिका से 4 नए बोइंग पी-8 आई निगरानी विमानों का दूसरा जत्था भारत आने के बाद इनका संचालन इन्हीं महिला पायलटों को दिया जा सकता है।