नई दिल्ली, 04 सितम्बर (हि.स.)। भारत और रूस के बीच 11वां द्विवार्षिक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास ‘इन्द्र नेवी’ बंगाल की खाड़ी में दो दिवसीय शुक्रवार से शुरू हो गया। कोरोना महामारी के कारण लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर इस बार यह अभ्यास केवल समुद्री क्षेत्र तक सीमित रखा गया है। इस बार के संयुक्त अभ्यास में समुद्री परिचालन के क्षेत्र में व्यापक और विविध गतिविधियों को शामिल किया गया है। ‘इन्द्र नेवी-20’ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास से दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण संबंध और मजबूत होंगे।
दोनों देशों के बीच इस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत 2003 में हुई थी। यह नौसेनिक अभ्यास बंगाल की खाड़ी में ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है जब द्विपक्षीय सहयोग और परस्पर हितों पर चर्चा करने तथा द्वितीय विश्व युद्ध में मिली जीत की 75वीं वर्षगांठ मनाए जाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगू के निमंत्रण पर मॉस्को की यात्रा पर हैं।
यह संयुक्त नौसैनिक अभ्यास नई संभावनाओं, संचालन और भागीदारी के स्तर में वृद्धि के नजरिए से समय के साथ परिपक्व होता गया है। इस अभ्यास का मूल उद्देश्य दोनों नौसेनाओं द्वारा पिछले कई वर्षों में हासिल की गई अंतर-संचालन दक्षता को और मजबूत करना है और साथ ही बहुआयामी समुद्री अभियानों के लिए आपसी समझ और प्रक्रियाओं को विस्तार देना है। इस बार के संयुक्त अभ्यास में समुद्री परिचालन के क्षेत्र में व्यापक और विविध गतिविधियों को शामिल किया गया है।
संयुक्त अभ्यास में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व निर्देशित मिसाइल विध्वंसक रणविजय और फ्लीट टैंकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे और इनके हेलीकॉप्टर भी इनके साथ होंगे। इस नौसैनिक अभ्यास ने स्वदेशी फ्रिगेट सह्याद्री को भी हिस्सा लेना था लेकिन एमटी न्यू डायमंड में श्रीलंका के तट पर आग लगने की वजह से उसे सहायता प्रदान करने के काम पर लगाया गया है। रूसी संघ की नौसेना का प्रतिनिधित्व व्लादिवोस्तोक में स्थित प्रशांत क्षेत्र के नौसेनिक बेड़े के विध्वंसक एडमिरल विनोग्रादोव, विध्वंसक एडमिरल ट्रिब्यूट्स और फ्लीट टैंकर बोरिस बुटोमा कर रहे हैं।
इस अभ्यास का उद्देश्य अंतर-क्षमता और दोनों नौसेनाओं द्वारा अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में आपसी समझ को बढ़ाना तथा उनमें सुधार लाना है। इसमें जमीन और हवा में विमान रोधी मारक क्षमता का अभ्यास, गोले दागे जाने का अभ्यास, हेलीकॉप्टर संचालन, जहाजों पर तैनात कर्मियों के लिए काम करने के नए तौर तरीके ईजाद किया जाना आदि शामिल है। ऐसा पिछला अभ्यास विशाखापत्तनम में दिसम्बर 2018 में आयोजित किया गया था।