भारत का बहरीन की नौसेना के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास शुरू

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बहरीन पहुंचने पर गार्ड ऑफ ऑनर देकर भारतीय जहाज का स्वागत किया गया

 बहरीन साम्राज्य के क्राउन प्रिंस से मुलाक़ात कर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की



नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.)। फारस की खाड़ी में तैनात भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस कोच्चि ने बुधवार से बहरीन की नौसेना के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास शुरू किया। इससे पहले भारतीय नौसेना और बहरीन नौसेना टीमों के बीच एक समन्वय और संचालन योजना सम्मेलन भी आयोजित किया गया। बहरीन पहुंचने पर नौसेना बेस पर एक औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर देकर भारतीय जहाज और भारतीय नौसेना का स्वागत किया गया।

भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस कोच्चि फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल अजय कोचर के साथ कमांडिंग वेस्टर्न फ्लीट का झंडा फहराते हुए फारस की खाड़ी की तैनाती के हिस्से के रूप में मनामा, बहरीन में तैनात है। फ्लैग ऑफिसर ने 16 अगस्त को रॉयल बहरीन नौसेना बल के नौसेना स्टाफ के प्रमुख, रियर एडमिरल मोहम्मद यूसुफ अल-असम से मुलाकात की। बहरीन के नौसेना बेस पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर देकर उनका स्वागत किया गया। रियर एडमिरल अजय कोचर ने अल-कुदैबिया पैलेस में बहरीन साम्राज्य के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद बिन ईसा अल खलीफा से मुलाक़ात करके द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।

इससे पहले भारतीय नौसेना और कतर एमिरी नेवल फोर्स के बीच अभ्यास ज़ैर-अल-बहर का दूसरा संस्करण 09-14 अगस्त के बीच फारस की खाड़ी में आयोजित किया गया था। अभ्यास के वर्तमान संस्करण में तीन दिवसीय बंदरगाह चरण के बाद दो दिवसीय समुद्री चरण शामिल था। समुद्री चरण में भूतल कार्रवाई, समुद्री डकैती रोधी अभ्यास, वायु रक्षा, समुद्री निगरानी, बोर्डिंग संचालन और एसएआर अभ्यास शामिल थे। अभ्यास के समुद्री चरण में भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद और कतर एमिरी नेवल फोर्स की ओर से बरजान और दमसाह श्रेणी की क्यूईएनएफ मिसाइल नौकाओं, एमआरटीपी 34 वर्ग के फास्ट-अटैक क्राफ्ट और राफेल लड़ाकू विमान ने भाग लिया।

प्रवक्ता के अनुसार भारतीय नौसेना क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोगी नौसेनाओं के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार है। अभ्यास का दूसरा संस्करण ज़ैर-अल-बहर दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन को मजबूत करने और कतरी नौसेना के साथ दोस्ती मजबूत करने के भारतीय प्रयासों में योगदान देगा। दो नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास दोनों देशों के बीच समुद्री आदान-प्रदान को और मजबूत करेगा जिससे इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।


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