‘भारतीय किसान संघ 8 दिसम्बर को भारत बंद में नहीं होगा शामिल’
नई दिल्ली, 07 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों की ओर से 08 दिसम्बर को प्रस्तावित भारत बंद में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। संघ ने 09 दिसम्बर को सरकार और किसान संगठनों के बीच होने वाली वार्ता के मद्देनजर इसे गैर जरूरी करार दिया है। इतना ही नहीं किसान संघ ने राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा आंदोलन को अराजक बनाये जाने की भी आशंका जाहिर की है।
भारतीय किसान संघ ने एक बयान जारी कर कहा, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिए हुए हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की वार्ता भी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंची है लेकिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के द्वारा इन कानूनों में संशोधन करने की सहमति जाहिर की गई है और 09 दिसम्बर को एक बार फिर वार्ता के लिए दोनों पक्ष सहमत हुए हैं। यद्यपि किसान नेताओं ने वार्ता में आने की सहमति तो दी है फिर भी 08 दिसम्बर को भारत बंद की घोषणा कर दी गई है।
बयान में कहा गया है कि देश की जनता यह भी जान चुकी है कि पंजाब राज्य सरकार के द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केंद्रीय कानून को निरस्त कर 5 जून से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है फिर भी पंजाब के ही किसान नेता तीनों बिलों को वापस लेने की मांग पर क्यों अड़े हुए हैं।
भारतीय किसान संघ ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने के स्थान पर इसमें संशोधन का समर्थन करते हुए कहा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे खरीदी नहीं हो, व्यापारियों से किसानों को धनराशि की गारंटी मिले, अलग से कृषि न्यायालय खड़े हों। संपूर्ण देश में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने वाले छोटे-बड़े सभी किसानों के लिए इन बिलों की उपादेयता सिद्ध होती है, इसलिए इन्हें वापस लेने की मांग पर अड़े रहना का हम समर्थन नहीं कर सकते।
किसान संघ का मानना है कि अभी तक किसान आंदोलन अनुशासित चला है लेकिन ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्र विरोधी तत्व एवं कुछ राजनीतिक दलों का प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की ओर मोड़ देने का है। अंदेशा है कि वर्ष 2017 में मंदसौर की दर्दनाक स्थिति की पुनरावृत्ति न कर दी जाए, जहां 06 किसानों की गोली से मृत्यु हुई। 32 गाड़ियां जलीं और दुकान, घर भी जले। ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का ही होता है।