भारतीय संस्कृति-पुरोहित कनाडा में तैयार किए जाएंगे
मेरठ, 17 जून (हि.स.)। सनातन भारतीय संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बज रहा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, पूजा-पद्धति, योग, आयुर्वेद आदि पर पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। कनाडा में भारतीय संस्कृति का ज्ञान रखने वाले पुरोहित तैयार करने को विशेष पाठ्यक्रम भी चलाया जाएगा। चार वर्षीय इस पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी योगाचार्य को चुना गया है।
बिजनौर जनपद की चांदपुर तहसील के सिसौना गांव निवासी आचार्य संदीप त्यागी लगभग 22 वर्ष पूर्व कनाडा गए थे और आज वहां योग की पहचान बन गए हैं। गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर हरिद्वार और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार से योग और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने वाले आचार्य ने हिन्दू महासभा कनाडा में धार्मिक प्रवक्ता व योगाचार्य के रूप में करियर शुरू किया। इसके बाद सत्य ज्योति सांस्कृतिक सभा कनाडा व साउथ एशिया डांस अकादमी सेंट्रल पब्लिक स्कूल ब्राम्प्टन में कार्य किया। इसके साथ ही आर्य समाज व श्री दत्ता योगा सेंटर ब्राम्प्टन के माध्यम से कार्य करा रहे हैं। आचार्य संदीप हिन्दी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी में काव्य-सृजन व लेखन में जुटे हैं। अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति, योग, साहित्य एवं भाषा के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। इस यात्रा में कई पुरस्कार भी उन्हें मिल चुके हैं। फिलहाल जाॅर्जियन काॅलेज में योग प्रवक्ता, द टोरण्टो स्टार और रामेश्वर मंदिर व सांस्कृति से जुड़े हैं।
कनाडा में बनाया स्वातन्त्र्य योग गुरुकुल
आचार्य संदीप त्यागी ने 1999 में कनाडा में स्वातन्त्र्य योग गुरुकुल की स्थापना की। यह संस्था उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए कृतसंकल्प है। वैदिक अध्यात्म, संस्कृति, भाषा, स्वास्थ्य एवं आरोग्यता के लिए लगातार सक्रिय है। अपने पैतृक गांव सिसौना में आकर 2003 में उन्होंने महर्षि कणाद विद्यापीठ की स्थापना की है। इस विद्यापीठ के जरिए ग्रामीण विद्यार्थियों को सांस्कृतिक वातावरण में प्राच्य व आधुनिक विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है।
कनाडा सरकार ने सौंपा पाठ्यक्रम का जिम्मा
आचार्य संदीप ने बताया कि कनाडा में रहने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस कारण कनाडा में रहने वाले दूसरे धर्मों के लोग भी भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वह अपनी जीवनशैली में भारतीय संस्कृति के रीति-रिवाजों को भी शामिल कर रहे हैं। इसके लिए भारतीय संस्कृति, पांडित्य में दक्ष लोगों की कमी महसूस की जा रही है। भारत से जाने वाले पुरोहित व पंडितों को वहां पर भाषा व वीजा की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसे दूर करने के लिए चार वर्ष का विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। पाठ्यक्रम तैयार करने वाली समिति में शामिल वह एकमात्र भारतीय हैं।
भारतीय संस्कृति का होगा प्रचार-प्रसार
इस विशेष पाठ्यक्रम को कनाडा समेत दूसरे देशों के नागरिक भी कर सकते हैं। पाठ्यक्रम में योग के साथ ही संस्कृत का ज्ञान, भेद, उपभेद, परंपराएं, पूजा पद्धति, सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों का ज्ञान आदि को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही भूमि व भवन पूजन, व्यवसाय उद्घाटन आदि शुभ कार्यों में पूजा-पाठ के नियम शामिल होंगे। आर्य समाज, स्वामी नारायण संप्रदाय, मूर्तिपूजक, साकार, निराकार आदि को मानने वाले के पूजन, हवन की विधियां सिखायी जाएंगी। हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी का ज्ञान भी दिया जाएगा। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने वाले लोग दूसरों को प्रशिक्षित भी कर सकेंगे।
रोजगार की समस्या का होगा समाधान
आचार्य ने बताया कि भारत से कनाडा में जाने वाले पुरोहितों व पंडितों को भाषा के स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ती है। इसके साथ ही वीजा की समस्या भी सामने आती है। इस विशेष पाठ्यक्रम को करने के बाद भारतीयों के लिए कनाडा में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और वीजा की समस्या भी दूर हो जाएगी। पाठ्यक्रम में अंग्रेजी भाषा का ज्ञान दिया जाएगा। जिससे भाषा का संकट भी दूर हो जाएगा।
दूसरे देशों के लोग भी अपना रहे भारतीय संस्कृति
विदेशों में ऐसे तमाम लोग हैं, जो भारतीय सनातन संस्कृति को अपना रहे हैं। अपने दैनिक जीवन से लेकर हिन्दू परंपरा से पूजा-पाठ करवाने, भारतीय तरीके से शादी करने, व्यवसाय में होने वाली पूजा करवाने का प्रचलन बढ़ रहा है। ऐसे में भारतीय परंपरा का ज्ञान रखने वाले लोगों की मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने और सनातन संस्कृति का शुद्ध व परिष्कृत तरीका सिखाने के लिए यह पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। कनाडा में रहने वाले लोग भी इस पाठ्यक्रम को पूरा करके पुरोहित बन सकते हैं। पूरी दुनिया के छात्र इस कोर्स को कर सकेंगे।
कोरोना आपदा की वजह से हुई देरी
आचार्य संदीप ने बताया कि यह पाठ्यक्रम अब तक कनाडा में लागू हो गया होता, लेकिन कोरोना आपदा के कारण इसमें देरी हो गई। अब कनाडा सरकार इस पाठ्यक्रम को तेजी से तैयार करवा रही है। अगले शैक्षिक सत्र में यह पाठ्यक्रम लागू होने की संभावना है।