इंडियन ​कोस्ट गार्ड को जल्द मिलेंगे ‘ग्रीन ​हेलीकॉप्टर​’

0

एचएएल​ ने शुरू किया ​’ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट ​​हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट के विमानों का निर्माण ​हरे रंग ​के इन हेलीकॉप्ट​रों में ​कोस्ट गार्ड​ की ​जरूरतों के आधार पर ​19 बदलाव किये गए



नई दिल्ली, ​19 दिसम्बर (हि.स.)​​। तटीय सुरक्षा के लिए ‘मेड इन इंडिया’ के तहत इंडियन ​​​​कोस्ट गार्ड को​ ‘ग्रीन ​हेलीकॉप्टर​’ का पहला बैच जल्द ही मिलने की उम्मीद है​​​ ​‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट ​​हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट के विमानों का निर्माण हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (​​एचएएल​​​) ने शुरू कर दिया है​​ ​मुंबई हमले के बाद तटीय सुरक्षा के मद्देनजर एचएएल को मार्क-III के 16 विमानों का ऑर्डर दिया गया था ​​हरे रंग ​के इन हेलीकॉप्ट​रों में कोस्ट गार्ड​ की ​जरूरतों के आधार पर ​19 बदलाव किये गए हैं
 
​भारतीय तटरक्षक बल ने 2002 में चार बहुमुखी ध्रुव हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल किया था, जो खोज और बचाव (एसएआर), आकस्मिक निकासी, सशस्त्र गश्ती, तटीय निगरानी, ​​वीआईपी सर्विस जैसी विभिन्न भूमिकाओं में पूरी तरह सफल साबित हुए हैं। मुंबई पर आतंकवादी हमला होने के 9 साल बाद कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन और तटीय सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए इंडियन कोस्ट गार्ड ने मार्च, 2017 में एचएएल से लगभग 5,126 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत पांच साल की समय सीमा में मार्क-III वेरिएंट के 16 एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टरों (फिक्स्ड व्हील) की आपूर्ति की जानी थी। भारतीय कोस्ट गार्ड ने इस्तेमाल हो रहे पुराने एमके-I वैरिएंट में अपनी जरूरत के मुताबिक तकनीकी बदलाव के कई सुझाव एचएएल के हेलीकॉप्टर डिवीजन को दिए थे। 
इस पर एचएएल के इंजीनियरों ने ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर मार्क-III वेरिएंट में तटीय सुरक्षा के लिए 270 डिग्री कवरेज के साथ एक निगरानी रडार लगाया है, जो कई समुद्री लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें वर्गीकृत और ट्रैक कर सकता है। सिंथेटिक-एपर्चर रडार, उलटा सिंथेटिक-एपर्चर रडार और मूविंग टारगेट इंडिकेशन लगाया गया है, जिसमें वेदर मोड भी है। टोही नियंत्रण के लिए सह-पायलट की ओर बहु-स्पेक्ट्रल इलेक्ट्रो-ऑप्टिक भी लगाया गया है, जो लक्ष्य प्राप्ति और सीमा की खोज करता है। इसके अलावा अन्य सुविधाओं में एयर एम्बुलेंस भूमिका के लिए चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) शामिल की गई है। हाई-इंटेंसिटी सर्चलाइट, लाउरहाइलर, 12.7-एमएम केबिन माउंटेड मशीन गन, ट्रैफिक अलर्ट और टक्कर टालने की प्रणाली लगाई गई है।
एचएएल ने मार्क-III के हेलीकॉप्टरों को कोच्चि स्थित नौसेना की भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक स्वदेशी कम आवृत्ति के डंकन सोनार (एलएफडीएस) से लैस किया है। सोनार की इकाइयां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा उत्पादित की जा रही हैं। अब मार्क-थ्री वेरिएंट में एचएएल ने इंटीग्रेटेड आर्किटेक्चर डिस्प्ले सिस्टम (आईएडीएस) के साथ एक पूर्ण ग्लास कॉकपिट लगाया है। रोटरी विंग रिसर्च एंड डिज़ाइन सेंटर (आरडब्ल्यूआरडीसीने अधिक शक्तिशाली शक्ति इंजन 1एच1 इंजन के साथ एकीकृत किया है। यह अनुबंध सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के साथ ही सुरक्षित जीवन, सुरक्षित समुद्र तट और सुरक्षित समुद्र सुनिश्चित करने में आईसीजी की भूमिका को और महत्वपूर्ण बनाएगा।
 
कोविड-19 लॉकडाउन से पहले दो साल के भीतर एचएएल ने तेजी से काम पूरा कर लिया था लेकिन फील्ड ट्रायल पर रोक लगा रखी थी। मई, 2020 में लॉकडाउन प्रतिबंध धीरे-धीरे हटाए जाने के बाद कोच्चि, चेन्नई और गोवा में भारतीय कोस्ट गार्ड ने समुद्री परीक्षण शुरू किया। इसके बाद नवम्बर तक लगभग प्रतिदिन दो हेलीकॉप्टरों से बेंगलुरु में उपयोगकर्ता प्रशिक्षण दिया गया। अब एचएएल ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के साथ समन्वय में अपग्रेडेड सिविल एमके-III व्हील हेलीकाप्टर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी माह के अंत तक ‘ध्रुव’ मार्क-III वेरिएंट के ‘ग्रीन हेलीकॉप्टरों’ का पहला बैच भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्ट गार्ड को मिलने की उम्मीद है
 

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *