वायुसेना के विमानों में होगा दून में विकसित भारतीय बायोजेट ईंधन प्रौद्योगिकी का उपयोग

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देहरादून/बेंगलुरु, 19 नवम्बर (हि.स.)। सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून की ओर से विकसित बायो-जेट ईंधन निर्माण प्रौद्योगिकी को वायुसेना के विमानों में प्रयोग के लिए औपचारिक स्वीकृति मिल गई है। यह प्रमाणन विमानन बायोफ्यूल क्षेत्र में भारत के बढ़ते विश्वास तथा आत्म-निर्भर भारत की ओर एक और कदम है।

एपीवीएस प्रसाद, मुख्य कार्यकारी अधिकारी सेना उड़न योग्यता और प्रमाणीकरण केंद्र (सीईएमआइएलएसी) की ओर से इस आशय का प्रोविजन क्लीरेंस प्रमाण-पत्र डॉ अंजन रे निदेशक, सीएसआइआर-आइआइपी को सौंपा गया। भारतीय वायुसेना टीम की ओर से ग्रुप कैप्टन आशीष श्रीवास्वत ने प्रतिनिधित्व किया।

यह प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय प्रयोगशाला भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआआईआर-आइआइपी) की ओर से विकसित की गई है। पिछले 3 वर्षों में इस पर कई प्रायोगिक परीक्षण और ट्रायल किए गए हैं।

एयरबोर्न सामग्री का परीक्षण एक जटिल और अत्यधिक सतर्कतापूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें सघन जांच-पड़ताल एवं परीक्षणों के साथ उच्चतम स्तर की फ्लाइट सेफ्टी को भी सुनिश्चित किया जाता है। अतंरराष्ट्रीय विमानन मानक कठोर मूल्यांकन के क्षेत्र को परिभाषित करते हैं। ईंधन विमानन की लाइफ लाइन है। इसलिए मानवप्रचालित इन फ्लाइंग मशीनों में इस ईंधन के प्रयोग से पूर्व इसका सम्पूर्ण विश्लेषण और मूल्यांकन अनिवार्य है।

आईआईपी को यह प्रमाणीकरण उनके ओर से विकसित बायोजेट ईंधन के भारतीय वायुसेना समर्थित विभिन्न एजेसिंयों द्वारा विभिन्न स्थलीय और विमानन परीक्षणों के संतोषजनक परिणामों के आधार पर ही दिया गया है।


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