नई दिल्ली, 23 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री का गृह राज्य गुजरात सक्षम बनता जा रहा है। सूरत की एक टेक्सटाइल मिल सैनिकों की वर्दी के लिए डिफेन्स फैब्रिक्स कपड़ा तैयार कर रही है तो हजीरा के एलएंडटी प्लांट में अत्याधुनिक के-9 वज्र टैंक बनाए जा रहे हैं। अब तक चीन, ताइवान और कोरिया से मंगाया जाने वाला डिफेन्स फैब्रिक्स तैयार करने के लिए सूरत की टेक्सटाइल मिल को पहला ऑर्डर दिया गया है। दूसरी तरफ बोफोर्स टैंक से भी आधुनिक ऑटोमेटिक टैंक के-9 वज्र का निर्माण करने के लिए हजीरा में खास फैक्टरी लगाई गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में 19 जनवरी, 2019 को गुजरात के हजीरा में लार्सन एंड टुब्रो आर्म्ड सिस्टम कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने इस प्लांट में सेना के लिए तैयार किया गया पहला शक्तिशाली के-9 वज्र टैंक देश को समर्पित किया। इसके बाद खुद प्रधानमंत्री ने इस टैंक की सवारी कर इसका जायजा भी लिया। सूरत के हजीरा एलएंडटी प्लांट में तैयार किया गया के-9 वज्र टैंक काफी एडवांस है, जिसे ‘टैंक सेल्फ प्रोपेल्ड होवरक्राफ्ट गन’ भी कहते हैं। टैंक की खासियतें बोफोर्स टैंक को भी पीछे छोड़ सकती हैं। बोफोर्स टैंक की तोप एक्शन में आने से पहले पीछे जाती है लेकिन के-9 वज्र टैंक ऑटोमेटिक है। इस टैंक के निर्माण के लिए हजीरा में खास फैक्टरी बनाई गई है।
रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 2017 में के-9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार दक्षिण कोरिया से किया था, जिनमें से 10 पूरी तरह से तैयार हालत में मिली हैं। बाकी 90 को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कंपनी हजीरा प्लांट में तैयार कर रही है, जिसमें से अब तक 81 फीसदी खेप तैयार हो चुकी है। एलएंडटी साउथ कोरिया की हानवा टेकविन के साथ मिलकर यह टैंक बना रही है। इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई 50 प्रतिशत से ज्यादा सामग्री स्वदेशी है। इसी साल जनवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने के-9 वज्र टैंक को हजीरा में हरी झंडी दिखाई थी और इसे नवम्बर 2018 में सेना में शामिल किया गया था। के-9 वज्र दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे के-9 थंडर जैसे हैं।
इससे पहले आखिरी बार 1986 में भारतीय सेना में बोफोर्स तोप को शामिल किया गया था। इसके बाद सेना में शामिल होने वाली दूसरी तोप दक्षिण कोरिया की 155 एमएम कैलिबर के-9 व्रज है, जिसको एक बख्तरबंद गाड़ी पर माउंट किया गया है। यह तोप रेगिस्तान और सड़क दोनों जगह पर 60 से 70 किलोमीटर की स्पीड से चलते हुए यह तोप दुश्मनों पर गोले बरसाने के बाद तेजी से अपनी लोकेशन को चेंज करने की क्षमता रखती है। के-9 व्रज को राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में पांच अलग-अलग रेजिमेंट में तैनात किया जाएगा। के-9 वज्र की पहली रेजीमेंट इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड ऑर्टिलरी वाले इस एक टैंक का वजन 47 टन है, जो 47 किलो के गोले 43 किमी की दूरी तक दाग सकता है। यह स्वचालित तोप शून्य त्रिज्या पर भी घूम सकती है। डायरेक्ट फायरिंग में एक किमी दूरी पर बने दुश्मन के बंकर और टैंकों को भी तबाह करने में सक्षम है। किसी भी मौसम में काम करेगा। लंबाई 12 मीटर है और ऊंचाई 2.73 मीटर है। इस टैंक में चालक के साथ पांच लोग सवार हो सकते हैं।
इसी तरह भारतीय सैनिकों की वर्दी जूते, पैराशूट, बैग और बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने के लिए अब तक चीन, ताइवान और कोरिया से मंगाया जाने वाला डिफेंस फैब्रिक सूरत में तैयार हो रहा है। भारत के पुलिस फाेर्स और सेना के 50 लाख से अधिक जवानों के लिए हर साल 5 कराेड़ मीटर डिफेन्स फैब्रिक्स लगता है।सूरत स्थित लक्ष्मीपति समूह की टेक्सटाइल मिल को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की गाइडलाइन पर 10 लाख मीटर डिफेंस फैब्रिक तैयार करने के लिए पहला ऑर्डर दिया गया है। दीपावली से पहले ही डिफेंस फैब्रिक का सैंपल टेस्टिंग के लिए भेज दिया गया था। अप्रूवल मिलने के बाद 5-7 बड़े उत्पादकों की मदद से यह कपड़ा तैयार किया जा रहा है। यह अगले दो महीनों में तैयार करना है। हाई टिनैसिटी यार्न से ही तैयार कपड़े को पंजाब-हरियाणा की गारमेंट यूनिट को भेज दिया जाएगा। यहां प्रोसेसिंग के जरिये कपड़े की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। डिफेंस फैब्रिक इतना मजबूत होता है कि इसे हाथ से नहीं फाड़ा जा सकता।