हिमालयी क्षेत्रों में 119 दिनों तक चला सेना का स्कीइंग अभियान ‘आर्मेक्स’

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में किया समापन, सदस्यों को किया सम्मानित

 अंतरराष्ट्रीय सीमा और हिमालयी क्षेत्र के भीतरी इलाकों की ऑपरेशनल रेकी भी हुई



नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हिमालयी क्षेत्र की पर्वत श्रृंखलाओं में शुरू किया गया भारतीय सेना का स्कीइंग अभियान ‘आर्मेक्स’ 119 दिनों तक चलने के बाद खत्म हो गया है। इस दौरान दल ने 5,000-6,500 मीटर ऊंचाई के कई दर्रों, ग्लेशियरों, घाटियों और नदियों के जरिए यात्रा करके कुल 1,660 किलोमीटर की दूरी तय की। इस दल ने दूर-दराज के इलाकों की स्थानीय आबादी से भी बातचीत की। इस अभियान के दौरान अंतरराष्ट्रीय सीमा और भीतरी इलाकों के अब तक अज्ञात क्षेत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की गई।

भारतीय सेना का स्कीइंग अभियान, आर्मेक्स-21 का आयोजन देश एवं भारतीय सेना में साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हिमालयी क्षेत्र की पर्वत श्रृंखलाओं में आयोजित किया गया था। यह अभियान 10 मार्च 2021 को लद्दाख के काराकोरम दर्रे से शुरू किया गया था और 06 जुलाई 2021 को उत्तराखंड के मलारी में समाप्त हुआ। इस अभियान के तहत 119 दिनों में 1,660 किलोमीटर की दूरी तय की गई। इस अभियान के दौरान दल ने 5,000-6,500 मीटर के कई दर्रों, ग्लेशियरों, घाटियों और नदियों के जरिए यात्रा की।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित एक समारोह में आर्मेक्स-21 का औपचारिक रूप से समापन किया। इस अवसर पर उन्होंने स्कीइंग दल को बधाई देते हुए उनके साहस की सराहना की। इस अभियान को असाधारण बताते हुए उन्होंने कहा कि दल ने न केवल एक रोमांचक यात्रा पूरी की है बल्कि हिमालयी क्षेत्र की ऑपरेशनल रेकी भी की है। राजनाथ सिंह ने आर्मेक्स-21 की टीम के सदस्यों को सम्मानित भी किया। समापन समारोह में थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

स्कीइंग अभियान के दौरान मिले यात्रा अनुभवों को साझा करते हुए टीम लीडर मेजर एके सिंह ने कहा कि ऐसे कई मौके आए जब उनके संकल्प की परीक्षा हुई। दल ने गढ़वाल में कालिंदी खाल (दर्रे) को पार करते समय सबसे कठिन क्षणों में से एक का सामना किया था। उन्होंने आगे कहा कि दल को अत्यधिक बर्फानी तूफान की स्थितियों के चलते 5,500 मीटर की ऊंचाई पर शिविर लगाना पड़ा। उन्होंने दूरदराज के इलाकों में रहने वाले नागरिकों के साथ बातचीत को एक नया अनुभव बताते हुए कहा कि उनकी सादगी और सहायता करने वाला व्यवहार दिल को छू लेने वाला था। मेजर एके सिंह ने कहा कि इस अभियान ने सीमांत आबादी को सेना के करीब लाने और जरूरत पड़ने पर उन तक पहुंचने की क्षमता के बारे में उनके विश्वास को मजबूत किया है।

अभियान दल के सदस्यों ने बताया कि ऊंचे पहाड़ों में लंबी दूरी तय करना चोटियों पर चढ़ाई से किस तरह अलग है लेकिन टीम भावना के चलते सभी सदस्यों ने इस अभियान को सफलता की मंजिल तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कुल 1,660 किलोमीटर की दूरी के इस अभियान का बहुत छोटा हिस्सा चोटियों की चढ़ाई में गुजरा जबकि इसके विपरीत स्की पर तिरछे होकर लंबी दूरी तय करनी पड़ी। अभियान दल को अपनी यात्रा के दौरान रसद सामग्री लेकर भी चलना पड़ा जिसकी वजह से टीम के प्रत्येक सदस्य को 30 किलो अधिक भार वहन करना जरूरी हो गया। एक मौके पर उन्होंने लमखागा दर्रे को पार करते हुए एक दिन में 66 किलोमीटर की दूरी तय की, जो पूरे अभियान के दौरान एक दिन में तय की गई सबसे लंबी दूरी थी।


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