नई दिल्ली, 20 सितम्बर (हि.स.)। पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की भारत के कब्जे में आईं रणनीतिक चोटियों में ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पहाड़ियां शामिल नहीं हैं, क्योंकि ये दोनों एलएसी के उस पार चीनी क्षेत्र में हैं। इस माह की शुरुआत में भारत ने लगभग 60-70 किमी क्षेत्र की महत्वपूर्ण पहाड़ियों को अपने नियंत्रण में लेकर सेना की तैनाती की थी। आज सरकारी सूत्रों ने साफ़ कर दिया है कि इन चोटियों पर भारत का कब्जा नहीं हुआ है और वहां से सेना अभी करीब 1.5 किमी दूर है। अभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की निगरानी में सैन्य ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
दरअसल 29 और 30 अगस्त की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय क्षेत्र में स्थित थाकुंग चोटी पर करीब 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। इनके साथ टैंक और गोला बारूद भी था लेकिन पहले से मुस्तैद भारतीय जवानों ने उसी समय मोर्चा संभाल लिया जब चीनी सैनिक बमुश्किल कुछ सौ मीटर की दूरी पर मौजूद थे। जब चीनी सैनिक घुसपैठ के लिए आगे बढ़े तो भारतीय जवानों ने उन्हें रोका और मामूली झड़प के बाद काफी पीछे खदेड़ दिया। चीन की इस ताजा हिमाकत के बाद भारत ने एक रणनीति के तहत झील के दक्षिणी किनारे में 60-70 किमी क्षेत्र में फैली आधा दर्जन ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर अपने सैनिकों की तैनाती करने का अभियान छेड़ दिया। भारत ने ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ चलाकर मागर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला, रेचांग ला, मोखपारी और फिंगर-4 रिज लाइन पर स्थित इन सभी बड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। यह पूरा ऑपरेशन सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की निगरानी में किया गया।
इन चोटियों को अपने नियंत्रण में लेते वक्त सैन्य टीमों की सुरक्षा के लिए भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट लगातार आसपास पेट्रोलिंग करते रहे। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय रहा कि चीनियों को हर चोटी पर तिरंगा फहरने के बाद ही भनक लग सकी। इन चोटियों पर भारत का कब्ज़ा होने के बाद ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप चोटी को लेकर भ्रम बन गया। भारत के कब्जे में आईं चोटियों के साथ इनका भी नाम गिना जाने लगा लेकिन आज सरकार के सूत्रों ने स्थिति साफ कर दी। सूत्रों ने यह भी साफ किया कि ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पहाड़ियां एलएसी के चीनी हिस्से में हैं, जबकि भारतीय पक्ष द्वारा कब्जा की गई चोटियां भारतीय क्षेत्र में एलएसी पर हैं। भारतीय सेना द्वारा चोटियों पर कब्जा किए जाने के बाद चीनी सेना ने अपनी संयुक्त ब्रिगेड की लगभग 3,000 अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किया है। इसमें रेजांग ला, रेचांग ला हाइट्स के पास इंफैंट्री और बख्तरबंद सैनिक शामिल हैं।
एलएसी पर 20 दिन में तीन बार चली गोली
इस दौरान चीनी सेना की कोशिशों को नाकाम करने के लिए पैंगोंग के उत्तरी तट से लेकर झील के दक्षिणी किनारे तक कम से कम तीन मौकों पर हवाई फायरिंग तक हुई। पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर पिछले 20 दिनों में भारत-चीन के बीच तीन बार फायरिंग की घटना हो चुकी है। सबसे पहली बार गोलीबारी 29-30 अगस्त को हुई जब चीन ने दक्षिणी पैंगोंग की ऊंचाई वाली थाकुंग चोटी पर कब्जा करने की कोशिश की और भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ा। दूसरी बार सात सितम्बर को मोखपारी की चोटियों पर गोलीबारी हुई। यहां घुसपैठ करने के इरादे से आये चीनी सैनिक अपने साथ मध्यकालीन युग के हथियार बरछी, भाले और धारदार औजार भी लाये थे और उन्होंने भारत के खदेड़े जाने पर फायरिंग की। इसके बाद पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 8 सितम्बर को चीनी सेना ने काफी आक्रामकता दिखाई, जिसके बाद करीब 100 राउंड फायरिंग हुई।