नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। भारतीय सेना अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना के तहत नई पीढ़ी के 1,750 ‘फ्यूचर टैंक’ खरीदना चाहती है। रणनीतिक साझेदारी के तहत भारत में बनने वाले इन फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआरसीवी) को चरणबद्ध तरीके से 2030 तक सेना में शामिल किया जाना है। नए टैंक पांच दशक पुराने रूसी मूल के बीएमपी-2 की जगह लेंगे। भारतीय विक्रेताओं की पहचान करने के लिए सरकार ने एक महीने में दूसरी बार गुरुवार को आरएफआई जारी किया है।
भारतीय सेना अपनी आधुनिकीकरण योजनाओं के तहत सोवियत मूल के टी-72 टैंकों के अपने पुराने बेड़े को बदलने की इच्छुक है। इसलिए सेना ने इस महीने की शुरुआत में भी 1,770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआईसीवी) की खरीद के लिए एक आरएफआई जारी किया था। सेना ने गुरुवार को फिर 1,750 एफआईसीवी की खरीद के लिए एक निविदा (सूचना के लिए अनुरोध-आरएफआई) जारी किया है। आरएफआई के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तीन संस्करणों में 1,750 ’फ्यूचर टैंक’ खरीदना चाहता है। कुल मात्रा में से लगभग 55% गन वर्जन, 20% कमांड वर्जन और 25% कमांड और सर्विलांस वर्जन होना चाहिए। इस परियोजना में भाग लेने के इच्छुक वेंडरों को एक सप्ताह के भीतर अपनी इच्छा व्यक्त करने को कहा गया है।
आरएफआई में भारतीय विक्रेताओं से अनुबंध के दो साल के भीतर रणनीतिक साझेदारी के तहत विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं के साथ सहयोग करके प्रति वर्ष 75-100 टैंकों की आपूर्ति करने को कहा गया है। आरएफआई के अनुसार एफआईसीवी को क्रॉस-कंट्री ऑपरेशंस के लिए तैनात किया जाएगा। इसमें पश्चिमी सीमा, उच्च ऊंचाई के साथ मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में, पूर्वी लद्दाख, मध्य क्षेत्र और उत्तरी सिक्किम में उत्तरी सीमाओं के साथ पहाड़ी इलाके हैं। यह आरएफआई गुणवत्ता आवश्यकताओं को अंतिम रूप देने, खरीद श्रेणी तय करने और अनुबंध के दो साल के भीतर वाहनों की आपूर्ति शुरू करने की क्षमता वाले संभावित भारतीय विक्रेताओं की पहचान करने के लिए जारी किया गया है। यह नए तरीके के एफआईसीवी दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद और लड़ाकू वाहनों, कम-उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों, अन्य जमीन-आधारित हथियार प्लेटफार्मों को नष्ट करने की क्षमता वाले होंगे।
एफआरसीवी के कई प्रकार होंगे जिनमें ट्रैक किए गए मुख्य युद्धक टैंक का प्राथमिक संस्करण, ट्रैक लाइट टैंक, पहिएदार संस्करण, ब्रिज लेयर टैंक, ट्रॉल टैंक, माइनस टैंक्स, बख्तरबंद रिकवरी वाहन, सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी गन/होवित्जर, वायु रक्षा बंदूक, मिसाइल प्रणाली, तोपखाने, ऑब्जरवेशन पोस्ट वाहन, इंजीनियर टोही वाहन और एम्बुलेंस भूमिका वाले बख्तरबंद शामिल हैं। इन्हें प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, इंजीनियरिंग सहायता पैकेज, अन्य रखरखाव और प्रशिक्षण आवश्यकताओं के साथ ‘स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ के तहत खरीदने की योजना है। आरएफआई के अनुसार ‘फ्यूचर टैंक’ का मध्यम वजन 45-50 टन होना चाहिए जो युद्धक्षेत्र के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए नई प्रौद्योगिकी से संचालित हो। एफआरसीवी प्लेटफॉर्म न केवल भविष्य के युद्धों के लिए उपयुक्त होना चाहिए बल्कि अन्य विशेष लड़ाकू वाहनों पर इस्तेमाल करने की क्षमता होनी चाहिए।
आरएफआई में कहा गया है कि ओवरहाल और मरम्मत के साथ एफआईसीवी की अधिकतम उम्र कम से कम 32 साल होनी चाहिए। टैंक निर्माण के क्षेत्र में शामिल प्रमुख रक्षा कंपनियां आरएफपी के माध्यम से भाग लेकर अपनी-अपनी डिजाइन पेश करेंगी। सबसे अच्छी डिजाइन का चयन करके प्रोटोटाइप ‘फ्यूचर टैंक’ का उत्पादन करने के लिए एक विकासशील एजेंसी को नियुक्त किया जाएगा। हालांकि दक्षिण कोरिया स्थित हुंडई रोटेम कंपनी पहले ही 2000 से अधिक टैंकों का ऑर्डर मिलने पर ‘मेक इन इंडिया’ के तहत पांच बिलियन डॉलर की लागत से ‘फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल‘ का उत्पादन करने के लिए तैयार है। यदि सब कुछ निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होता है, तो इस एफआरसीवी के 2025-27 के बीच सेना की सेवा में आने की उम्मीद है।