नई दिल्ली, 29 सितम्बर (हि.स.)। चीन के साथ मौजूदा टकराव के समय वायुसेना को हल्के युद्धक विमानों की कमी अखरने लगी है। वायुसेना के बेड़े में मौजूद मिग-21 रूसी जेट्स पुराने हो चुके हैं। चीता और चेतक हेलीकॉप्टर रिटायर होने के करीब हैं। सेना में हल्के युद्धक विमानों की कमी पूरी करने के लिए स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘एलसीएच’ का सौदा एचएएल से अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है। भारतीय सेना के तीनों अंगों को 483 नए लाइट यूटिलिटी चॉपर्स की जरूरत है। इसलिए वायुसेना ने सरकार से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत हल्के हेलीकॉप्टरों की निर्माण परियोजना तेज करने का आग्रह किया है।
मौजूदा समय में वायुसेना पाकिस्तान और चीन से एक साथ युद्ध लड़ने की क्षमता विकसित करना चाहती है। इसके बावजूद उसके पास लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन के बजाय सिर्फ 30 फाइटर स्क्वाड्रन हैं। 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन बनती है। ऐसे में अगर एयरफोर्स के पास 42 की जगह 30 स्क्वाड्रन होने का मतलब कम-से-कम 192 फाइटर जेट्स और 24 ट्रेनर एयरक्राफ्ट की कमी है। यानी नई 12 स्क्वाड्रन के लिए वायुसेना को करीब 216 फाइटर जेट की जरूरत है। वैसे तो विश्व की चौथी सबसे बड़ी भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल सात तरह के बड़े फाइटर एयरक्राफ्ट हैं, जिसमें सुखोई-30 एमकेआई, तेजस, मिराज 2000, मिग-29, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं। फ्रांस से 2016 में ऑर्डर किए गए 36 राफेल फाइटर जेट में से पहली खेप के रूप में 5 विमान 29 जुलाई को भारत पहुंच चुके हैं।
अभी तक भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 31 स्क्वाड्रन में मिग-21 के पांच विमान भी शामिल हैं। अब तक इन मिग-21 की वायुसेना के बेड़े से विदाई हो जानी चाहिए थी। एयरफोर्स पिछले 15 सालों से नए हल्के हेलीकॉप्टरों की मांग कर रही है। फिलहाल सेना, वायुसेना और नौसेना के पास 187 चेतक और 205 चीता हेलिकॉप्टर हैं, जिनका इस्तेमाल सियाचिन जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में भी होता है। हालांकि अब ये इतने पुराने पड़ चुके हैं कि लगातार क्रैश हो रहे हैं और इनकी सर्विसिंग की भी गंभीर समस्या है। इनके रिटायर हो जाने के बाद भारतीय सेना के तीनों अंगों को 483 नए लाइट यूटिलिटी चॉपर्स की जरूरत है। इसलिए वरिष्ठ वायु अधिकारियों का मानना है कि वायुसेना के पास मौजूदा 30 स्क्वाड्रन कम पड़ रही हैं जिसे बढ़ाए जाने की जरूरत है।
अगले दो वर्षों में स्वदेश निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मार्क-1ए के 83 जहाजों और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘एलसीएच’ के 85 जहाजों को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाना है। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क-1ए जेट के 83 विमानों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित 5.2 बिलियन डॉलर का अनुबंध तैयार है और इस साल दिसम्बर में या उससे पहले एचएएल को दिए जाने की संभावना है। अगर वायुसेना को समय से तेजस और एलसीएच की आपूर्ति हो जाये तो काफी हद तक हल्के युद्धक विमानों की कमी पूरी हो सकती है, इसीलिए वायुसेना ने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में बन रहे हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी समय सीमा के अंदर कराये जाने के लिए सरकार से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत हल्के हेलीकॉप्टरों की निर्माण परियोजना में तेजी लाने का आग्रह किया है।