भारत ने जीता 3.5 करोड़ पौंड का हैदराबाद फंड केस , पाकिस्तान हारा

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भारत विभाजन के समय हैदराबाद में पुलिस कार्रवाई के पहले निजाम ने यह धनराशि लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर  बैंक में जमा कराई थी।



लंदन/नई दिल्ली, 02 अक्टूबर (हि.स.)।ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने दशकों से चले आ रहे हैदराबाद कोष मुकद्दमे में बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाया जिसके फलस्वरुप 3.5 करोड़ पौंड ( 3 अरब 5 करोड़ 73 लाख रु.) की धनराशि भारत और निजाम हैदराबाद के वंशजों को मिलेगी।

इंग्लैंड और वेल्स हाई कोर्ट के न्यायाधीश मार्कस  स्मिथ ने पाकिस्तान की दलील को ठुकराते हुए भारत के पक्ष में फैसला सुनाया। भारत विभाजन के समय हैदराबाद में पुलिस कार्रवाई के पहले निजाम ने यह धनराशि लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर  बैंक में जमा कराई थी। मूलराशि दस लाख सात हजार 940 पौंड थी जो पिछले 70 वर्ष के दौरान बढ़कर 3.5 करोड़ पौंड हो गई । सातवें निजाम ने 1947 में यह धनराशि पाकिस्तान के उच्चायोग के  एकाउंट में सुरक्षित रखने के लिहाज से जमा कराई थी। बाद में इस धनराशि पर पाकिस्तान ने अपना दावा किया।  निजाम हैदराबाद के वंशजों मुकर्रम जाह और मुफ्फखम जाह ने भारत सरकार के साथ मिलकर पाकिस्तान के दावे को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने  पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया कि निजाम ने यह धनराशि भारत की संभावित सैनिक कार्रवाई का सामना करने के लिए हथियार खरीदने के उद्देश्य से लंदन भेजी थी। न्यायालय ने पाकिस्तान की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि यह मुकद्दमा अब कानूनी समय सीमा पार कर गया है।

 न्यायालय ने कहा कि हैदराबाद कोष की धनराशि पर भारत और निजाम के वंशजों का हक है। निजाम ने वर्ष 1965 में हैदराबाद कोष की दावेदारी भारत के राष्ट्रपति के हवाले कर दी थी।

न्यायालय ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया कि हैदराबाद कोष हथियारों की खरीद के लिए था अथवा हथियारों की खरीद के एवज में पाकिस्तान को अदायगी के लिए था। न्यायालय ने यह भी नहीं माना कि निजाम ने यह राशि पाकिस्तान को उपहार स्वरुप  थी।

न्यायाधीश स्मिथ ने 166 पेज के फैसले में हैदराबाद के एकीकरण के संदर्भ में ऐतिहासिक तथ्यों का लेखा-जोखा लिया। न्यायाधीश ने हैदराबाद के संबंध में भारत की कार्रवाई को गैरकानूनी बताने की पाकिस्तान की दलील को खारिज कर दिया।

सातवें निजाम ने हैदराबाद कोष को हासिल करने के लिए  1950 के दशक में कानूनी कार्रवाई शुरु की थी लेकिन उस समय पाकिस्तान ने राष्ट्रीय संरक्षण (स्टेट इम्युनिटी) का हवाला देकर कार्रवाई रुकवा दी थी। वर्ष 2013 में पाकिस्तान ने राष्ट्रीय संरक्षण का प्रावधान वापस लेकर अपनी ओर से कानूनी कार्रवाई शुरु की थी। कानूनी प्रक्रिया शुरु होने के बाद पाकिस्तान ने पलटी मारते हुए कार्रवाई रोकने का आग्रह किया था जिसे न्यायालय ने नामंजूर कर दिया था।

भारत के विदेश मंत्रालय ने हैदराबाद कोष फैसले का स्वागत किया है जब कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने फैसले पर नाराजगी जाहिर की है।  पाकिस्तान का कहना है की न्यायालय ने ऐतिहासिक तथ्यों को नजरअंदाज किया।

 


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