भारत में भी बनेगा गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज, शेयर की तरह होगी सोने की ट्रेडिंग

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नई दिल्ली, 29 सितंबर (हि.स.)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गोल्ड एक्सचेंज का गठन करने के लिए सेबी (वॉल्ट मैनेजर्स) विनिमय, 2021 के फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही भारत में भी गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत होने का रास्ता काफी हद तक साफ हो गया है। गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में शेयर बाजार की तर्ज पर ही सोने की ट्रेडिंग की जाएगी। हालांकि इसमें सोने की ट्रेडिंग हाजिर सोने (स्पॉट गोल्ड) की तरह नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट यानी ईजीआर के रूप में की जाएगी।

हालांकि गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में ईजीआर ट्रेडिंग के लिए सोने के न्यूनतम मूल्य या न्यूनतम वजन की बात को लेकर अभी कोई निश्चित पैमाना तय नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि प्रस्तावित गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में वॉल्ट मैनेजर बनने के लिए न्यूनतम 50 करोड़ रुपये नेटवर्थ वाली कंपनियां आवेदन कर सकेंगी। इन कंपनियों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के पास पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद ही वे गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में वॉल्ट मैनेजर के रूप में काम की शुरुआत कर सकेंगी

बताया जा रहा है कि गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले फिजिकल गोल्ड को वॉल्ट मैनेजर के पास जमा कराना होगा। वॉल्ट मैनेजर सोने की गुणवत्ता को परखने और वजन के हिसाब से उसकी कीमत तय करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट (ईजीआर) जारी करेगा। इस ईजीआर को जब तक वॉल्ट मैनेजर के पास सरेंडर नहीं किया जाएगा, तब तक वो ट्रेडिंग के लिए मान्य बना रहेगा। मतलब इस ईजीआर का कोई एक्सपायरी टाइम नहीं होगा। सरेंडर करने के बाद ये ईजीआर खुद ही अमान्य हो जाएगा। बताया जा रहा है कि ईजीआर को भुनाने के लिए ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी ईजीआर को वॉल्ट मैनेजर के पास सरेंडर करके उस समय की सोने की कीमत के हिसाब से सोना ले सकेगा।

बताया जा रहा है कि गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रस्तावित ईजीआर को सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) ऐक्ट-1956 के तहत एक सिक्योरिटी के रूप में ही नोटिफाई किया जाएगा। सेबी (वॉल्ट मैनेजर्स) विनिमय, 2021 के तहत मिली मंजूरी के मुताबिक देश के किसी भी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में एक अलग सेगमेंट के रूप में ईजीआर की ट्रेडिंग की जा सकेगी। इस तरह से गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज के साथ ही शेयर बाजार भी प्रत्यक्ष तौर पर ईजीआर ट्रेडिंग का हिस्सा बन सकेगा।

कमोडिटी मार्केट के जानकारों का कहना है कि भारत जैसे देश में हर साल करीब 800 टन सोने की घरेलू मांग होती है। मतलब रोजाना औसतन 2.2 टन सोना घरेलू बाजार में बिक जाता है। लेकिन अभी भी देश में सोने की खरीद बिक्री के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई एक मूल्य निर्धारण प्रक्रिया नहीं बन सकी है। देश के अलग-अलग शहरों में सोने की कीमत में प्रति 10 ग्राम 100 रुपये से 600 रुपये तक का अंतर पाया जाता है। लेकिन गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज का गठन हो जाने के बाद ईजीआर ट्रेडिंग के जरिए सोने का एक राष्ट्रीय मूल्य तय किया जा सकेगा। बाजार की मांग के मुताबिक इसके मूल्य में उतार-चढ़ाव जरूर होगा, लेकिन देश के हर कोने में एक वक्त में सोने की समान कीमत ही मान्य होगी।

कमोडिटी एक्सपर्ट मयंक श्रीवास्तव का कहना है कि भारतीय बाजार में सोने की खरीद बिक्री में अभी तक आम लोगों को मूल रूप से 2 तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। पहली परेशानी सोने की गुणवत्ता को लेकर थी, तो दूसरी परेशानी देशभर में एक समान मूल्य नहीं होने की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने हॉलमार्किंग की अनिवार्यता को लागू करके सोने की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। और अब गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज के गठन के लिए फ्रेमवर्क को मंजूरी देकर सोने की एक राष्ट्रीय कीमत तय करने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया गया है, जिससे आने वाले दिनों में सोने के कारोबार को मजबूती मिल सकेगी।


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