नई दिल्ली, 13 जुलाई (हि.स.)। भारत में रूसी कलाश्निकोव रायफल्स का निर्माण शुरू नहीं हो पाने का खामियाजा यह है कि चीन के साथ जारी सैन्य तनाव के बीच भारतीय सेना को अमेरिकी कम्पनी ‘सिग सॉयर’ से दूसरी खेप में फिर 72 हजार सिग-716 असॉल्ट रायफलें खरीदनी पड़ रही हैंं। यह खरीद सशस्त्र बलों को दी गई वित्तीय शक्तियों के तहत की जाएगी।
दरअसल भारतीय सेना ने फरवरी,2020 में अमेरिकी कम्पनी ‘सिग सॉयर’ से आधा किमी. दूरी तक मार करने की क्षमता वाली 72 हजार 400 असॉल्ट रायफलें खरीदी थीं। पहली खेप में मिलीं असॉल्ट राइफलों का इस्तेमाल भारतीय सेना अपने आतंकवाद-रोधी अभियानों मेेंं कर रही है। यह 7.62×51 मिमी. कैलिबर की बंदूकें हैं, जो 647 करोड़ रुपये के फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत खरीदी गई थीं। अब दूसरी खेेप में फिर से 72 हजार असॉल्ट रायफलें खरीदने के प्रस्ताव को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से अंतिम रूप देने की तैयारी है।
हालांकि इसी साल मार्च में भारत ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तैनात अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के लिए 16 हजार 479 इजरायली लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने के लिए 880 करोड़ रुपये का सौदा किया था।7.62×51 मिमी की इन एलएमजी की संख्या सीमित होने और फरवरी में खरीदी गई 72 हजार 400 असॉल्ट रायफलों से 15 लाख की क्षमता वाले भारतीय सशस्त्र बलों की आंशिक जरूरतें पूूूरी हो पा रही थीं। यह नई अमेरिकी नई असॉल्ट रायफल्स सेना के पास इस समय मौजूद इंसास रायफलों का स्थान लेंगी। इन इंसास रायफलों का निर्माण स्थानीय रूप से आयुध कारखानों बोर्ड ने किया था।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि योजना के अनुसार अमेरिकी असॉल्ट रायफलों का इस्तेमाल आतंकवाद निरोधी अभियानों और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अग्रिम पंक्ति के सैनिकों द्वारा किया जाएगा जबकि शेष सेनाओं को एके-203 रायफलें दी जाएंगी जिनका उत्पादन अमेठी आयुध कारखाने में भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है। भारतीय सेना के लिए ‘मेक इन इंडिया’ के तहत उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में रूसी तकनीक की मदद से 6.71 लाख एके-203 का निर्माण किया जाना है।
इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 03 मार्च, 2019 को एके-203 के निर्माण की योजना का औपचारिक उद्घाटन किया था। उस समय यह दावा किया गया था कि 300 मीटर तक मार करने वाली एके-203 का मैकेनिज्म एके-47 रायफल की तरह ही है, लेकिन नई राइफल एके-47 की तुलना में ज्यादा सटीक मार करेगी। नई असॉल्ट रायफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे। एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहेंगी। इन सबके बावजूद ‘मेक इन इंडिया’ की यह परियोजना लागतों के कारण अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी। इसलिए अब फिर से 72 हजार अमेरिकी असॉल्ट रायफलें खरीदने का फैसला लिया गया है।