नई दिल्ली, 08 मार्च (हि.स.)। भारत-उजबेकिस्तान के बीच सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक-2’ का दूसरा संस्करण सोमवार से उत्तराखंड में रानीखेत के पास चौबटिया में शुरू हुआ। युद्ध-कौशल को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह आतंकवाद-निरोधक अभ्यास 21 मार्च तक चलेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘डस्टलिक-2’ की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
उजबेकिस्तान के सैनिकों की टुकड़ी सोमवार सुबह दिल्ली पहुंची। यह सैनिक अपने युद्ध-कौशल को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से भारतीय सैनिकों के साथ आतंकवाद-रोधी सैन्य अभ्यास करने आये हैं। इसके बाद उत्तराखंड में रानीखेत के पास चौबटिया पहुंचकर संयुक्त अभ्यास शुरू किया। 21 मार्च तक चलने वाले अभ्यास के दौरान जम्मू-कश्मीर में होने वाले आतंकी ऑपरेशन की स्थिति चौबटिया में बनाई जाएगी। चौबटिया में आतंकी कार्रवाई की स्थिति ठीक वैसी ही होगी जैसे कश्मीर में होती है। इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं अपनी क्षमताओं को तेज का अभ्यास करेंगी और एक-दूसरे से युद्ध कौशल सीखेंगी। कश्मीर में जवानों को कई तरह की विषम परिस्थितियों जैसे पथराव से खुद को बचाने के साथ ही भारी क्षति से बचते हुए ऑपरेशन करना पड़ता है।
मंगलवार से दोनों देशों की सेनाएं पहाड़ी ग्रामीण और शहरी परिदृश्य में आतंकी कार्रवाई से निटपने की कुशलता विकसित करने का सैन्य अभ्यास करेंगी। विशेष बलों पर नजर रखने की तकनीक, हाई-टेक कमांड पोस्ट के माध्यम से निगरानी, हेलीकॉप्टरों से संचालन और खुफिया-आधारित सर्जिकल स्ट्राइक इस अभ्यास के मुख्य आकर्षण होंगे। ड्रिल में एक मॉड्यूल भी होगा, जिसमें दोनों सेनाएं एक-दूसरे से रिहायशी इलाकों में काउंटर-टेरर ऑपरेशन के दौरान भारी नुकसान न होने की तकनीक सीखेंगी। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 13 कुमाऊं रेजिमेंट कर रही है जिसे रेजांग ला बटालियन के रूप में भी जाना जाता है। इस रेजिमेंट ने 1962 के युद्ध में चीन का रेजांग ला में बहादुरी से मुकाबला किया था।
डस्टलिक-1 संयुक्त सैन्य अभ्यास का पहला संस्करण उज्बेकिस्तान में ताशकंद के पास नवम्बर, 2019 में हुआ था।अभ्यास के पहले संस्करण के दौरान भी शहरी परिदृश्य में उग्रवाद और आतंकवाद पर ही ध्यान केन्द्रित किया गया था। जवानों ने हथियार चलाने के हुनर सीखने और आतंकवाद से मुकाबला करने के अनुभवों को साझा किया था। अभ्यास ने सेनाओं को अधिक सांस्कृतिक समझ, अनुभवों को साझा करने और आपसी विश्वास और सहयोग को मजबूत करने का अवसर प्रदान किया था। भारतीय सेना के अनुसार यह अभ्यास दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ाएगा।