नई दिल्ली, 19 मार्च (हि.स.)। भारत-उज्बेकिस्तान के बीच सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक-2’ का दूसरा संस्करण 10 दिनों बाद शुक्रवार को खत्म हो गया। उत्तराखंड में रानीखेत के पास चौबटिया में युद्ध-कौशल को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से चल रहा यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। दोनों सेनाओं ने एक-दूसरे से रिहायशी इलाकों में काउंटर-टेरर ऑपरेशन के दौरान भारी नुकसान न होने की तकनीक भी सीखी। यह संयुक्त अभ्यास दोनों देशों के बीच आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए मजबूत संकल्प को भी दर्शाता है।
इस संयुक्त अभ्यास में दोनों देश की सेनाओं ने पर्वतीय, ग्रामीण और शहरी परिदृश्य में काउंटर आतंकवादी अभियानों के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता और कौशल का साझा प्रदर्शन किया। साथ ही इस अभ्यास ने दोनों सेनाओं के सैनिकों को हमेशा के लिए पेशेवर और सामाजिक संबंध बनाने का अवसर प्रदान किया। आठ दिनों तक चले गहन सैन्य प्रशिक्षण के बाद दो दिन यानी 17-18 मार्च को दोनों सेनाओं ने निर्धारित 36 घंटे का संयुक्त सत्यापन किया। यह सत्यापन अभ्यास दोनों सेनाओं के लिए खुद का परीक्षण करने के लिहाज से इसलिए महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि वे ऐसे परिदृश्यों में वास्तविक संचालन की चुनौतियों से गुजर रही हैं।
अभ्यास के दौरान जम्मू-कश्मीर में होने वाले आतंकी ऑपरेशन की स्थिति चौबटिया में बनाई गई। कश्मीर में होने वाली आतंकरोधी कार्रवाईयों का अभ्यास करके दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे से युद्ध कौशल सीखा। कश्मीर में जवानों को कई तरह की विषम परिस्थितियों जैसे पथराव से खुद को बचाने के साथ ही भारी क्षति से बचते हुए ऑपरेशन करना पड़ता है। दोनों सेनाओं ने एक-दूसरे से रिहायशी इलाकों में काउंटर-टेरर ऑपरेशन के दौरान भारी नुकसान न होने की तकनीक भी सीखी। विशेष बलों पर नजर रखने की तकनीक, हाई-टेक कमांड पोस्ट के माध्यम से निगरानी, हेलीकॉप्टरों से संचालन और खुफिया-आधारित सर्जिकल स्ट्राइक इस अभ्यास के मुख्य आकर्षण रहे।
संयुक्त सत्यापन अभ्यास के साथ खत्म हुए इस युद्ध अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने आतंकवादी समूहों पर अपनी युद्ध शक्ति और प्रभुत्व का प्रदर्शन किया। समापन समारोह में भी दोनों देशों के बीच अद्वितीय पारंपरिक प्रतिभा दिखाई दी, जिसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने अभ्यास के पेशेवर आचरण के प्रति अपनी संतुष्टि और कृतज्ञता व्यक्त की। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का मानना है कि अभ्यास के दौरान उत्पन्न सद्भावना दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच भविष्य में मजबूत सम्बन्ध बनाने के लिए लंबा रास्ता तय करेगी। डस्टलिक-1 संयुक्त सैन्य अभ्यास का पहला संस्करण उज्बेकिस्तान में ताशकंद के पास नवम्बर, 2019 में हुआ था। अभ्यास के पहले संस्करण के दौरान भी शहरी परिदृश्य में उग्रवाद और आतंकवाद पर ही ध्यान केन्द्रित किया गया था।