नई दिल्ली, 30 सितम्बर (हि.स.)। भारत ने बुधवार को विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो 400 किमी से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की पीजे-10 परियोजना के तहत मिसाइल को स्वदेशी बूस्टर के साथ लॉन्च किया गया था। पहले 300 किमी. तक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल में डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था।
ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और रडार की पकड़ में भी नहीं आती। ब्रह्मोस की विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कहीं से भी दागा जा सकता है। यही नहीं इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस के मेनुवरेबल संस्करण का हाल ही में सफल परीक्षण किया गया है जिससे इस मिसाइल की मारक क्षमता में और भी बढोत्तरी हुई है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत ने विकसित की है। तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की तकनीक के आगे दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र नहीं टिकता।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सबसे पहला और सफल परीक्षण 18 दिसम्बर, 2009 को भारत ने बंगाल की खाड़ी में किया था। रूसी सरकार ने भारत के साथ मिलकर बनाई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस किसी तीसरे देश को निर्यात करने की अनुमति दे दी है। रूस ने इसके साथ 100 रक्षा कंपनियों की सूची भी जारी की है जो भारत के साथ ब्रह्मोस जैसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती हैं। निर्यात की अनुमति मिलने से पहले ही फिलीपींस, वियतनाम, मिस्र और ओमान सहित कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है। अभी तक ब्रह्मोस की मारक क्षमता 300 किमी. तक थी लेकिन डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। भारत ने आज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का स्वदेशी बूस्टर के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया जो अब 400 किमी. से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
– यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेदने में सक्षम
– इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
– यह मिसाइल तकनीक थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है।
– यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड़ में नहीं आती।
– अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है, इसे मार गिराना असम्भव
– ब्रह्मोस की प्रहार क्षमता अमेरिका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी और अधिक तेज
– आम मिसाइलों के विपरीत यह हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
– यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस-नहस कर सकती है।