नई दिल्ली, 06 अक्टूबर (हि.स.)। चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारत ने एक पखवाड़े के अन्दर ताबड़तोड़ मिसाइल परीक्षण करके पड़ोसियों को चौकन्ना कर दिया है। साथ ही लगातार स्वदेशी मिसाइलों का परीक्षण करके खुद को मजबूत करने के साथ ही रक्षा तकनीक में कामयाबी हासिल कर रहा है। भारत ने एक पखवाड़े के अन्दर सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टॉरपीडो (स्मार्ट), परमाणु क्षमता वाली शौर्य मिसाइल, लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) और विस्तारित रेंज की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का स्वदेशी बूस्टर के साथ परीक्षण करके पड़ोसियों को चौंका दिया है। पहले से ही खतरनाक मानी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल अब मारक क्षमता 400 किमी. हो जाने से और घातक हो गई है। इसी तरह 800 किमी. दूर तक मार करने में सक्षम परमाणु क्षमता वाली शौर्य मिसाइल भी अब अपने कारनामे दिखने को तैयार है।
‘अभ्यास’ का सफल उड़ान परीक्षण
डीआरडीओ ने 22 सितम्बर को हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) का ‘अभ्यास’ सफल उड़ान परीक्षण ओडिशा के बालासोर तट से किया। इस दौरान दो प्रदर्शनकारी वाहनों का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इन वाहनों का उपयोग विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए लक्ष्य के रूप में किया जा सकता है। अभ्यास एक ड्रोन है, जिसे विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए एक लक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह देश की पहली स्थानीय रूप से विकसित प्रणाली है। यह ड्रोन दुश्मन के रक्षा तंत्र का परीक्षण करने के लिए विमान के रूप में डिकॉय कर सकते हैं। एयर वाहन को ट्विन अंडरस्लैंग बूस्टर का उपयोग करके लॉन्च किया गया है। यह एक छोटे गैस टरबाइन इंजन द्वारा संचालित है और इसमें मार्गदर्शन और नियंत्रण के लिए उड़ान नियंत्रण कंप्यूटर के साथ नेविगेशन के लिए इनरट्रियल नेविगेशन सिस्टम है। एयर व्हीकल की जांच लैपटॉप आधारित ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन का उपयोग करके की जाती है। परीक्षण अभियान के दौरान पांच किमी की उड़ान की ऊंचाई, 0.5 मैक की वाहन गति, 30 मिनट की धीरज और परीक्षण वाहन की 2जी टर्न क्षमता की उपयोगकर्ता की आवश्यकता को सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया था।
परमाणु क्षमता संपन्न पृथ्वी-2 मिसाइल का रात्रि परीक्षण
भारत ने अपनी स्वदेशी रूप से विकसित सतह से सतह पर मार करने और परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का रात्रि परीक्षण 23 सितम्बर की देर रात को ओडिशा के समुद्री तट पर किया, जो पूरी तरह सफल रहा। इससे पहले भारत ने पिछले साल नवम्बर और दिसम्बर में भी परमाणु क्षमता संपन्न स्वदेश निर्मित पृथ्वी-दो मिसाइल का रात में सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण भी ओडिशा के तट से सशस्त्र बलों के लिए किया गया था। पिछले साल सतह से सतह तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का रात्रि परीक्षण 4 दिसम्बर से पहले और 20 नवम्बर को एक पखवाड़े के अंदर किया गया था। 500-1000 किलोग्राम अग्निशस्त्र ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 दो मिसाइल तरल प्रणोदन दो इंजनों से संचालित है। मिसाइल को उत्पादन स्टॉक से एकाएक चुना गया और सशस्त्र बलों के स्ट्रैटजिक फोर्स कमान (एसएफसी) ने संपूर्ण प्रक्षेपण गतिविधि को अंजाम दिया। यह परीक्षण डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की निगरानी में किया गया।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता हुई 400 किमी.
भारत ने 30 सितम्बर को विस्तारित रेंज की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का स्वदेशी बूस्टर के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो 400 किमी. से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है। पहले 300 किमी. तक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल में डीआरडीओ ने पीजे-10 परियोजना के तहत स्वदेशी बूस्टर बनाकर इसकी मारक क्षमता बढ़ा दी है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का दूसरा परीक्षण था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और रडार की पकड़ में भी नहीं आती। इसे जमीन, हवा, पनडुब्बी, युद्धपोत यानी कहीं से भी दागा जा सकता है। यही नहीं इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा विकसित की गई अबतक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत ने विकसित की है। तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की तकनीक के आगे दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र नहीं टिकता।
लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
स्वदेशी रूप से विकसित लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) का 01 अक्टूबर को दूसरा परीक्षण किया गया जिसने लंबी दूरी पर स्थित अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। पहला परीक्षण 22 सितम्बर को एमबीटी अर्जुन टैंक से केके रेंज अहमदनगर में किया गया था। उस समय भी एटीजीएम ने तीन किलोमीटर तक लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया था। इसमें हाई एक्सप्लोसिव एंटी टैंक (एचईएटी) वॉर हेड का इस्तेमाल किया गया है। यह बख्तरबंद टैंकों को भी तबाह कर सकती है। डीआरडीओ के मुताबिक वर्तमान में एमबीटी अर्जुन में लगी बंदूक से फायर करके इसका तकनीकी मूल्यांकन किया जा रहा है। मिसाइल की विभिन्न विशेषताओं के बारे में डीआरडीओ ने कहा कि एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का विस्फोटक रियर आर्मर संरक्षित बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के लिए एक गर्म वॉरहेड नियुक्त करता है। इस एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को पुणे की उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला ने देहरादून की संस्था इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट और आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट पुणे के सहयोग से विकसित किया गया है।
परमाणु क्षमता वाली शौर्य मिसाइल क्यों है खास
इसी तरह भारत ने 03 अक्टूबर को सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु क्षमता वाली बैलिस्टिक ‘शौर्य मिसाइल’ के नए संस्करण का सफल परीक्षण ओडिशा तट पर किया, जो लगभग 800 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को मार सकती है। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है। यह मिसाइल एक टन तक के पेलोड के साथ वॉरहेड ले जा सकती है। इसका पहला परीक्षण 12 नवम्बर, 2008 को चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में निर्मित परिसर-3 से किया गया था। उड़ान भरने पर लगभग 50 किमी. की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद यह मिसाइल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तरह उड़ने लगती है। लक्ष्य क्षेत्र में पहुंचने के बाद 20 से 30 मीटर की दूरी पर युद्धाभ्यास करने के बाद सटीक हमला करती है। रक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि दो चरणों वाली अत्यधिक चुस्त शौर्य मिसाइल अत्यधिक घातक है, जो कम ऊंचाई पर भी 7.5 मैक के वेग तक पहुंच सकती है। शौर्य मिसाइल को प्रक्षेपित करने से पहले तक दुश्मन या निगरानी उपग्रहों से भूमिगत भंडारों में छिपाकर रखा जा सकता है। सतह पर इसका उड़ान समय 500 सेकंड और 700 सेकंड के बीच है। आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है, जो इसकी तैनाती को आसान बनाता है। शौर्य एक बुद्धिमान मिसाइल है, क्योंकि ऑनबोर्ड नेविगेशन कंप्यूटर से निर्देशित करते ही यह सीधे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है।
सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टॉरपीडो (स्मार्ट)
ओडिशा तट के व्हीलर द्वीप से 05 अक्टूबर को भारत ने पानी के अंदर छुपे देश के दुश्मनों को माकूल जवाब देने के लिये सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज टॉरपीडो (स्मार्ट) का सफल परीक्षण किया। यह तकनीक युद्ध के वक़्त विरोधी पनडुब्बियों को मार गिराने में भारत की क्षमता बढ़ाएगी। स्मार्ट मिसाइल मुख्य रूप से टॉरपीडो सिस्टम का हल्का रूप है, जिसे लड़ाकू जहाजों पर तैनात किया जाएगा। पहला परीक्षण तो सिर्फ 24 किमी. के लिए किया गया लेकिन इसकी मारक क्षमता 650 किलोमीटर की दूरी तक है। इससे पहले रॉकेट लगाने पर भी इसकी रेंज 140 से 150 किलोमीटर तक रहती थी लेकिन अब डीआरडीओ ने इस स्मार्ट सिस्टम टारपीडो की रेंज बढ़ा दी है। इसलिए अब पानी के अंदर या हवा में स्मार्ट सिस्टम टारपीडो अपने दुश्मन को खुद ही ढूंढकर ढेर कर देगा। यह स्मार्ट सिस्टम केवल हवा से हवा में या पानी के अंदर ही नहीं बल्कि हवा से पानी के अंदर भी वार कर सकता है। समुद्र के अंदर पनडुब्बियों में लगा सुपरसोनिक मिसाइल असिसटेड रिलीज़ ऑफ टारपेडो (स्मार्ट) सिस्टम तरंगों के माध्यम से दुश्मन पर नजर रखेगा। दुश्मन की पनडुब्बी नजदीक आते ही सुपरसोनिक सिस्टम खुद उसका पीछा करके उसे पानी के अन्दर ही तबाह कर देगा।