पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाने का मुद्दा भारत ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया
नई दिल्ली, 22 जनवरी (हि.स.)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर अल्पसंख्यकों को लेकर पाकिस्तान के पाखंड को उजागर हुए कहा है कि इस्लामाबाद में बैठी सरकार पाकिस्तान के प्रमुख हिन्दू मंदिर को जलाए जाने के दौरान मूकदर्शक बनी रही।
भारत ने कहा कि एक ओर पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाकर शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने का नारा लगा रहा है, वहीं अपने यहां अल्पसंख्यकों के मामलों में ‘मूक दर्शक’ बना हुआ है।
भारत ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए शांति और सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देने से जुड़े संकल्प को अपनाने के दौरान संयुक्त राष्ट्र में यह बयान दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा इस तरह के प्रस्ताव पाकिस्तान जैसे देशों के लिए खुद की जवाबदेही से बचने का तरीका नहीं हो सकते।
भारत ने कहा कि दिसम्बर 2020 में एक ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर पर हमला किया गया । पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वां प्रांत के करक शहर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समर्थन से भीड़ ने एतिहासिक मंदिर में आग लगा दी।
इस दौरान भारत ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, अतिवाद, कट्टरपंथ और असहिष्णुता बढ़ रही है। इससे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत स्थलों पर आतंकी हमले और तोड़फोड़ का खतरा बढ़ गया है। भारत ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा बौद्ध प्रतिमा तोड़ने और पिछले साल सिख गुरुद्वारों पर हमले का भी मुद्दा उठाया। इस हमले में 25 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी।