नई दिल्ली, 13 सितम्बर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से बहुत कमजोर है। ये कॉरपोरेट और पर्यावरणीय नियमों की अनिश्चितता और कुछ एनबीएफसी की आर्थिक कमजोरियों के चलते विकास दर गिरी है।
दरअसल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 साल के सबसे निचले स्तर पर है। अप्रैल-जून तिमाही में ये दर सिर्फ पांच फीसदी थी, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह दर आठ फीसदी थी।
आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि भले कमजोर हुई हो फिर भी चीन से बहुत आगे और दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होनी वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। राइस ने कहा कि हम नए आंकड़े पेश करेंगे। लेकिन सच यह है कि कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों की वजह से भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से बहुत कमजोर है।
गेरी राईस ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार ने वैश्चिक अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। इसकी वजह से ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ भी अगले साल 0.8 फीसदी कम होने की आशंका है। दरअसल पिछले एक दशक के वित्तीय संकट के दौरान दुनिया भर में विनिर्माण स्तर पर पहले से ही मंदी का दौर जारी है।