आजाद भारत का पहला बजट साढ़े सात महीने का था, खर्च के लिए कुल 197.29 करोड़ का था अनुमान
आजादी के बाद देश का पहला बजट पेश करते वक्त तत्कालीन वित्तमंत्री आरके शणमुखम चेट्टी के सामने कई चुनौतियां थीं। उन चुनौतियों को उन्होंने बजट में शामिल करने की किस तरह कोशिश की थी। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स वेबसाइट के अनुसार देश के पहले बजट में राजस्व से लेकर अलग-अलग मदों में खर्च की रूपरेखा इस प्रकार थी-
नई दिल्ली, 05 जुलाई (हि.स.)। भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। मोदी सरकार इसे वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए प्रयासरत है लेकिन आजादी मिलने बाद अंग्रेजों ने देश का खजाना पूरी तरह से खाली कर दिया था। इसके अलावा बंटवारे की वजह से आर्थिक परेशानियां भी बढ़ गई थीं, इसके बावजूद देश ने जिस गति से आर्थिक तरक्की की है उसकी मिसाल दुनिया में बहुत ही कम देखने को मिलती है।
आजादी के बाद देश का पहला बजट पेश करते वक्त तत्कालीन वित्तमंत्री आरके शणमुखम चेट्टी के सामने कई चुनौतियां थीं। उन चुनौतियों को उन्होंने बजट में शामिल करने की किस तरह कोशिश की थी। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स वेबसाइट के अनुसार देश के पहले बजट में राजस्व से लेकर अलग-अलग मदों में खर्च की रूपरेखा इस प्रकार थी-
आजाद भारत का पहला बजट पेश करते समय तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शणमुखम चेट्टी ने कहा था, ‘मैं स्वतंत्र भारत का पहला बजट संसद में पेश कर रहा हूं। इस अवसर को एक ऐतिहासिक क्षण माना जा सकता है और इसे एक दुर्लभ अवसर और विशेषाधिकार मानता हूं, जो कि भारत के फाइनेंस कस्टोडियन के रूप में मुझे मिली है।‘
आर्थिक मामलों की एक वेबसाइट के मुताबिक आरके शणमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत बजट के वक्तव्य में बजट की अवधि 15 अगस्त,1947 से 31 मार्च,1948 तक के लिए कुल साढ़े सात महीने की अवधि बताया गया था, जिसे कवर किया गया था।
संसद में बजट पेश करने के दौरान तत्कालीन वित्तमंत्री आरके शणमुखम चेट्टी ने अपने बजटीय भाषण में कहा था कि देश के विभाजन और पुरानी केंद्र सरकार की जगह पर दो स्वतंत्र सरकारों के उदय के साथ वित्तवर्ष 1947-1948 के लिए बजट प्रस्तुत है जो मार्च में पारित हो गया था। स्वतंत्र भारत के पहले आम बजट का कुल राजस्व 171.15 करोड़ रुपये था, जिसमें देश के राजकोषीय घाटे का अनुमान 26.24 करोड़ रुपये था।
आजाद भारत के पहले बजट के बारे में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स वेबसाइट के अनुसार वित्त वर्ष (कुल साढ़े सात महीने) के खर्च के लिए 197.29 करोड़ रुपये व्यय का अनुमान लगाया गया था। देश के पहले बजट में रक्षा सेवाओं के लिए कुल 92.74 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था, जो कि कुल बजट का 46 फीसदी था।
बजट में सीमा शुल्क मद में में 50.5 करोड़ रुपये की राशि रखी गई थी। पूंजी परिव्यय के लिए 56.59 करोड़ दिए गए, जिसमें राज्यों को अनुदान के लिए 20.39 करोड़ रुपये रखे गए थे। इसके अलावा राजस्व आयकर विभागों और योजनाओं पर व्यय के लिए कुल 26.96 करोड़ आवंटित किए गए थे।