नई दिल्ली, 11 सितम्बर (हि.स.)। मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक में भले ही 5 मुद्दों पर सहमति बनी हो लेकिन चीन की सेना दूसरी तरफ पेंगांग इलाके में अपनी ताकत बढ़ा रही है। चीन की हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना ने भी अब एलएसी पर बोफोर्स तोप की तैनात कर दी है। भारतीय जवानों की फिंगर-4 तक पहुंच हो जाने के बाद सामरिक रूप से बेहद अहम ऊंचाई वाले इलाकों पर भारत का दबदबा हो चुका है। एलएसी पर इन दिनों करीब 40 हजार भारतीय जवान तैनात हैं और इसके बाद बोफोर्स तोप की तैनात करना भारतीय सेना का बड़ा कदम है।
पेंगोंग लेक के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में चीन की बेचैनी बढ़ी है। चीन भले ही अपने जवान, गाड़ियां और हथियार तैनात कर चुका है लेकिन इन इलाकों में ऊंचाइयों पर भारत की पकड़ मजबूत होने से उसके पसीने छूट रहे हैं। मई में चीनियों ने भारत को धोखा देकर फिंगर-4 पर कब्जा किया था और वहां से हटने को तैयार नहीं हैं। पिछले हफ्ते भारत अपने सैनिकों की तैनाती में बदलाव करके रिजलाइन तक पहुंचा था लेकिन अब फिंगर एरिया में भारतीय सैनिकों की तैनाती इतनी ऊंचाई वाली पहाड़ी पर कर दी गई है जो फिंगर-4 से भी ऊंची है। भारतीय जवान ऊंचाइयों पर रहकर चीनी सेना की हरकत पर हर वक्त नजर रख रहे हैं। वायुसेना पहले से ही मुस्तैद है और अब सरहद पर होवित्जर तोप की तैनाती का मतलब है कि अगर चीन ने छोटी से छोटी गलती भी की तो उसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भारतीय सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के अलग-अलग इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की है और पहाड़ों की लड़ाई के उस्ताद माने जाने वाले जवान चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार हैं।
भारतीय सेना पिछले एक सप्ताह से पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर चल रहे गतिरोध से निपटने में लगी हुई है, जिसका फायदा उठाकर चीन ने उत्तरी किनारे पर फिंगर एरिया में फिर से बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं चीन ने उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच लगभग 8 किमी. की दूरी में अपने सैनिकों की तैनाती की है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उत्तरी किनारे पर फिंगर्स 4-8 के बीच रिज लाइनों पर सैनिकों का जमावड़ा कर लिया है। इसीलिए भारत पिछले अप्रैल से फिंगर 4 से आगे नहीं बढ़ पा रहा है, जबसे चीन ने इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लिया था। इससे पहले भारतीय सैनिक फिंगर-8 तक गश्त करते थे। फिंगर एरिया के विवाद को हल करने के लिए अब तक सैन्य और राजनयिक स्तरों पर कई दौर की बैठकों में कोई परिणाम नहीं निकला है।फिंगर एरिया में 4 किमी. का बफर जोन बनाने के समझौते के अनुसार चीन आंशिक रूप से फिंगर-5 तक पीछे हट गया है और भारतीय सैनिकों को फिंगर-2 पर वापस आना पड़ा है। इस तरह चीन पिछले चार महीनों से फिंगर एरिया की रिज-लाइन पर हावी है।
पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर 29/30 अगस्त के बाद से तनाव अधिक है, जब चीनी सैनिक ‘उकसावे वाली कार्रवाई’ में लगकर दक्षिण तट पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद भारत को क्षेत्र की प्रमुख ऊंचाइयों वाली खाली पड़ी रणनीतिक चोटियों को अपने कब्जे में लेकर सैनिकों की तैनाती करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस समय पैंगोंग इलाके की लगभग सभी महत्वपूर्ण चोटियों पर भारतीय सेना का कब्जा है, जो रणनीतिक तौर पर काफी अहम है। भारत का ऊंचाइयों वाली रणनीतिक चोटियों पर बैठने का मतलब चीन को रास्ते पर लाने के लिए अब उसको उसकी ही भाषा में समझाने की पहल के रूप में देखा जा रहा है। इन्हीं कोशिशों के तहत विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार की रात चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात मॉस्को में करीब 2 घंटे तक बातचीत की है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हाल के दिनों में चीन की हिमाकत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।