नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच तीसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही है। एलएसी पर तनाव कम करने और भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ रोकने के मकसद से मंगलवार को यह बैठक भारत ने बुुुलाई थी, इसीलिए पैंगोंग त्सो के नजदीक भारतीय क्षेत्र चुशूल में दोनोंं देशों के कोर कमांडर आमने-सामने बैठे। कई घंटे चली इस मैराथन बैठक में एक-दूसरे के निर्माण कार्यों और सेनाओं के पीछे हटने के मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन पाई। भारत-चीन के बीच एलएसी पर वैसे तो 5 विवादित क्षेत्र हैं लेकिन बैठक में फिंगर-4 पर सबसे ज्यादा फोकस रहा जहां से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने को तैयार नहीं है।
चीन ने बैठक स्थल पर ही पैंगोंग झील के किनारे अपने देश का बड़ा सा झंडा और एक निशान उकेरा जिसे सेटेलाइट ने कैप्चर किया है। तीसरे दौर की बैठक का मुख्य एजेंडा दोनों देशों की सेनाओं को एलएसी से पीछे हटने का रहा। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण रही क्योंकि इससे पहले की दोनों बैठकें चीन की तरफ मॉल्डो में हुई थी। यानी वह दोनों बैठकें चीन के आग्रह पर बुलाई गई थीं। इन दोनों बैठकों में बनी सहमतियों का चीन की तरफ से पालन नहीं किया गया बल्कि इस बीच चीनी सेना ने सीमा पर अपनी तैनाती बढ़ाई और अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इसलिए तीसरे दौर की बैठक भारत को बुलानी पड़ी, इसीलिए यह भारतीय क्षेत्र चुशूल में हुई। भारत की तरफ से भारतीय सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने तथा चीन की तरफ से मेजर जनरल लिन लियू ने अपनी-अपनी टीम की अगुवाई की।
पिछली दो दौर की बैठकों में तय हुआ था कि दोनों सेनाएं सभी विवादित क्षेत्रों से कम से कम 5-5 किमी. पीछे हटेंगी लेकिन भारत और चीन को यह शर्त बिलकुल मंजूर नहीं है क्योंकि अगर भारत को यहां से पीछे हटना पड़ा तो फिंगर-4 से हटकर फिंंगर-2 में जाना पड़ेगा। इसी तरह चीनियों को फिंंगर-6 तक पीछे हटना पड़ेगा। मौजूदा स्थिति में चीनी सैनिक फिंगर-4 पर कब्ज़ा जमाये बैठे हैं। इसी तरह चीन गलवान घाटी से पीछे हटने को लेकर सहमत नहीं है क्योंकि उसका कहना है कि वह पहले ही अपनी लाइन से 800 मीटर पीछे हैं। बैठक में एलएसी पर तनाव कम करने और भारतीय क्षेत्र की गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और देप्सांग के मैदानी इलाके में चीनी घुसपैठ के मुद्दे पर भी चर्चा हुई लेकिन दोनों पक्ष सहमति के करीब नहीं पहुंच सके।
इससे पहले दो दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है। पहली बैठक 6 जून को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच चीन की तरफ मॉल्डो में हुई थी। बेनतीजा रही इस बैठक के बाद फिर 15 जून को ब्रिगेडियर और कर्नल स्तर की हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पेट्रोलिंग पॉइंट्स 14 और 17 के दो फेस-ऑफ स्थलों पर चर्चा हुई। इस बैठक के बाद सौर्हाद्रपूर्ण माहौल में दोनों फ़ौजों के 5-5 किलोमीटर पीछे हटने पर सहमति बन गई। दिन में हुई बैठक में बनी सहमति का चीन पक्ष से पालन नहीं किया गया जिसकी वजह से 15/16 जून की रात को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में भिड़ंत हो गई जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए।
गलवान की खूनी झड़प के बाद 22 जून को 11 घंटे चली बैठक में भारत ने चीन से दो टूक एलएसी से अपनी सेना हटाकर 2 मई से पहले की स्थिति बहाल करने को कहा था। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की मैराथन बैठक में इस बात पर आपसी सहमति बनी कि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में एलएसी से पीछे हटेंगे। इसके बावजूद चीन के सैनिक अभी भी वहीं पर जमे हैं जहां पिछली बैठक के समय थे। दूसरे दौर की इस वार्ता में बनी सहमतियों पर चीन की तरफ से अमल न होने पर भारत को फिर तीसरे दौर की बैठक बुलानी पड़ी लेकिन वह भी एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव कम करने में नाकाम रही।