डोभाल ने वांग यी से किया 2 घंटे बात, झुकने के लिए चीन हुआ मजबूर

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मोदी सरकार ने किया मजबूत कूटनीतिक हथियार का प्रयोग, कामयाब हुआ ‘ऑपरेशन चीन’



नई दिल्ली, 06 जुलाई (हि.स.)। लद्दाख की गलवान घाटी से चीनी सैनिक यूं ही पीछे हटने को मजबूर नहीं हुए हैं बल्कि भारतीय विदेश मंत्रालय के सोमवार को जारी हुए बयान से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के रूप में अपने सबसे मजबूत कूटनीतिक हथियार का प्रयोग किया था।डोभाल ने रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दो घंटे तक वार्ता की। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीनी सैनिकों को पीछे हटाने के साथ ही भविष्य में गलवान घाटी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए शांति बनाए रखने पर बातचीत की ताकि आगे इस तरह की विकट स्थिति पैदा न हो।
 
सीमा मुद्दे का हल तलाशने के लिए अब तक चल रहे प्रयासों के बीच मोदी सरकार ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को ‘ऑपरेशन चीन’ सौंपा। इस पर डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दो घंटे तक वार्ता की। दोनों पक्षों ने तय किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के बीच बनी आम राय के अनुरूप दोनों देश सीमा क्षेत्रों में शांति और सामान्य स्थिति कायम करने के लिए काम करेंगे। यह भी सहमति बनी कि द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए दोनों पक्ष मतभेदों को विवाद न बदलने दें। बातचीत के दौरान दोनों प्रतिनिधियों ने सैन्य अधिकारियों के बीच तय मैकनिजम के तहत बातचीत जारी रखने पर भी सहमति जताई। इस बात पर भी सहमति जताई गई कि दोनों विशेष प्रतिनिधि भारत-चीन सीमा पर शांति स्थापित होने तक बातचीत आगे भी जारी रखेंगे।
 
दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम पर गहन विचार विमर्श करने के साथ ही दोहराया कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान करेंगे और एलएसी की यथास्थिति में बदलाव करने वाली किसी भी एकतरफ़ा कार्रवाई से बचेंगे ताकि गलवान घाटी जैसी किसी झड़प से बचा जा सके। भविष्य में किसी भी तनातनी से बचने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग न हो। दोनों पक्षों के राजनयिक और सैन्य अधिकारियों को अपनी चर्चा जारी रखनी चाहिए। इसमें भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श और समन्वय के लिए बने कार्य तंत्र का उपयोग भी होना चाहिए। साथ ही समय पर एक सहमति पर पहुंचकर उसे लागू करना चाहिए।
 
पूर्वी लद्दाख सीमा क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों और संघर्ष के बीच विशेष प्रतिनिधियों की यह पहली बातचीत थी। विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता प्रक्रिया कई वर्षों से जारी है तथा समग्र सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत के अनेक दौर हो चुके हैं। इस वार्ता के पहले गलवान घाटी की घटना के तुरंत बाद वांग यी ने विदेशमंत्री एस जयशंकर से टेलीफोन पर बातचीत की थी तथा रूस, भारत और चीन समूह (रिक) के तहत वीडियो कांफ्रेसिंग वार्ता में भी भाग लिया था।
 

 


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