नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (हि.स.)। भारत और चीन के बीच सातवें दौर की सैन्य वार्ता करीब 12 घंटे बाद ‘फिर मिलेंगे’ के वादे के साथ देर रात खत्म हो गई। हालांकि बैठक समाप्त होने के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन ‘पॉजिटिव नोट’ के साथ वार्ता का अंत होने की बात बताई जा रही है। यह भी तय हुआ है कि जल्द ही फिर एक और सैन्य वार्ता होगी। लगातार सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं होने के बावजूद सीमा पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ठंड से बचने के लिए की गईं तैयारियां बताती हैं कि चीनी सैनिक फिलहाल पीछे हटने के मूड में नहीं हैं और इन वार्ताओं के जरिये ‘टाइमपास’ की रणनीति अपनाई जा रही है।
भारत और चीन के बीच मई से ही एलएसी पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। अब तक की वार्ताओं में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच बॉर्डर पर सैनिकों की संख्या कम करने पर मंथन हुआ है लेकिन जमीनी हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके बावजूद सोमवार को दोपहर 12 बजे के करीब भारतीय इलाके के चुशूल इलाके में दोनों सेनाओं के अधिकारी सातवें दौर की वार्ता के लिए आमने-सामने बैठे और रात 11.30 बजे खत्म हुई। भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने आखिरी बार भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की क्योंकि उनका तबादला देहरादून, आईएमए किया जा चुका है। सेना की इस 14वीं कोर की जिम्मेदारी 15 अक्टूबर को लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन के हाथ में आ जाएगी। हालांकि चीन से छठवीं और सातवीं दौर की वार्ता में जनरल मेनन शामिल रहे।
दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक समाप्त होने के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन ‘फिर मिलेंगे’ के ‘पॉजिटिव नोट’ के साथ वार्ता का अंत होने की बात बताई जा रही है। इस बैठक के बारे में सेना की तरफ से आधिकारिक बयान आज शाम तक आने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि भारत ने फिर एक बार चीन को स्पष्ट कर दिया है कि पूरे पूर्वी लद्दाख के विवादित से पीछे हटने के लिए योजना बनानी होगी, जबकि चीन चाहता है कि भारत पहले पैन्गोंग झील के दोनों किनारों की उन रणनीतिक ऊंचाइयों को खाली कर दे जिन पर सितम्बर में भारतीय सैनिकों की तैनाती की गई है।
पिछली बैठक में भी भारत ने मुख्य रूप से मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में तय किये पांच सूत्री बिन्दुओं पर फोकस किया था। इस पर चीन से एक रोड मैप मांगा गया था लेकिन इस बैठक में भी चीन की तरफ से इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। पहली बार एक राजनयिक ने चीनी पक्ष से भी बैठक में भाग लिया। यानी इस मैराथन बैठक में वार्ता के लिए एक बार फिर बैठने की बात तय होने के अलावा कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब 8वें दौर की सैन्य वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर सैनिकों की हर 15 दिन में ‘रोटेशनल तैनाती’ शुरू कर दी है जिससे संकेत मिलते हैं कि चीनी सेना फिंगर एरिया से पीछे हटने के मूड में नहीं है। चीन ने ऊंचाइयों पर तैनात अपने सैनिकों को ठंड से बचाने के अत्याधुनिक इंतजाम किये हैं। प्रत्येक 15-15 दिन में 200-200 पीएलए सैनिकों की शिफ्टवार ड्यूटी लगाई जा रही है ताकि उन्हें लगातार ठंड का सामना न करना पड़े। यहां तापमान शून्य से 10 डिग्री नीचे जाने पर सर्दियों से बचने के लिए फिंगर-4 पर 200-200 पीएलए सैनिकों की शिफ्ट लगाई जा रही है।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध की शुरुआत पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर एरिया से हुई थी। इसके बाद से ही फिंगर-4 की लगभग 18 हजार फीट ऊंचाई पर दोनों पक्षों के हजारों सैनिक आमने-सामने हैं। इतना ही नहीं पीएलए ने अस्थाई मॉड्यूलर फ्लैटऑफ-ग्रिड कारबिन बनाये हैं। इसमें 15℃ से -55℃ तक तापमान सह सकने वाले सोलर हीटिंग सिस्टम लगाये गए हैं। इनमें ऑल इनवायरमेंट कैंटीन, इंटीग्रेटेड शॉवर सिस्टम, बायोडिग्रेडेबल ड्राई टॉयलेट और माइक्रोग्रिड रखने की सुविधा है।
पिछले हफ्ते चीनी सैनिक टैंकों के साथ खतरनाक रूप से भारतीय सैनिकों के सामने 50 मीटर के करीब आ गए लेकिन भारत ने अपनी तरफ से कोई आक्रमता नहीं दिखाई। जानकारों का यह भी मानना है कि इस समय चीनी सैनिक सीमा पर भारत को पहली गोली चलाने के लिए उकसाने की कोशिश के तहत कोई भी दुस्साहस कर सकते हैं। इतना ही नहीं चीन ने डेप्सांग में 400 लड़ाकू वाहनों के साथ एचक्यू-9 और एचक्यू-16 मिसाइलें तैनात की हैं।