फिर बढ़ी तल्खी भारत और चीन के बीच , जाएंगे एलएसी पर रक्षा मंत्री

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राजनाथ सिंह 27-28 जून को पूर्वी लद्दाख में कई सड़कों का उद्घाटन करेंगे

 पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं आज भी आमने-सामने 



नई दिल्ली, 26 जून (हि.स.)। चीनी विदेश मंत्रालय​​​ ​के एक बयान के बाद बढ़ी तल्खी के बीच ​​​​​​रक्षा मंत्री राजनाथ ​सिंह 27-28 जून को पूर्वी लद्दाख के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वह​ ​लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (​एलएसी) के पास ​भारत की ​तैयारि​​यों का ​​जायजा लेंगे। वह एलएसी के पास ​कई सड़कों का उद्घाटन भी करेंगे।​ उन्होंने करीब एक हफ्ते पहले ​​अरुणाचल प्रदेश ​की सीमा से लगी ​​12 ​सड़कें राष्ट्र को समर्पित ​की थीं। रक्षा मंत्रालय के ​अधीन ​बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ​(बीआरओ) ​पाकिस्तान और चीन ​सीमा तक सैनिकों की ‌आवाजाही सुगम बनाने के लिए ​लगातार ​​​सड़कों का जाल ​​बिछा रहा है।
 
​​रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह​ के इस लद्दाख ​दौरे में ​मुख्य फोकस बीआरओ के बुनियादी ढांचे ​पर होगा लेकिन उनकी यह यात्रा ​ऐसे समय हो रही है जब चीनी​ सैनिक अभी भी एलएसी के अन्य क्षेत्रों जैसे ​​गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से अलग नहीं हुए हैं। पिछले एक साल में एलएसी ​के करीब चीनी सेना का निर्माण जारी है जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है।​ अभी दो दिन पहले ​​चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने​​ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ​के एक बयान के जवाब में भारत को अतिक्रमणकारी देश तक करार दिया है। ऐसे बयानों को देखते हुए लद्दाख में जारी तनाव कम होता दिखाई नहीं दे ​रहा है। सैनिकों की तैनाती को लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। इसके बावजूद पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं आज भी आमने-सामने तैनात हैं।​​​​
 
दरअसल विदेश मंत्री जयशंकर ने कतर इकनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के साथ विवादित सीमा पर चीन की सैन्य तैनाती और बीजिंग सैनिकों को कम करने के अपने वादे को पूरा करेगा या नहीं, इस बारे में अनिश्चितता दोनों पड़ोसियों के संबंधों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।​ ​उन्होंने कहा था कि क्या भारत और चीन आपसी संवेदनशीलता और सम्मान पर आधारित संबंध बना सकते हैं और क्या पेइचिंग सीमावर्ती क्षेत्र में दोनों पक्षों के किसी बड़े सशस्त्र बल को तैनात नहीं करने की लिखित प्रतिबद्धता का पालन करेगा।​ इस पर चीन ने भारत के अतिक्रमण को सीमा पर तनाव का असली कारण ​बताते हुए कहा है कि हमें सीमा मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से ​हल करने के लिए इसे द्विपक्षीय संबंधों से ​नहीं ​जोड़ा जाना चाहिए।
 
​इसी साल की शुरुआत में भारत से समझौते के बाद ​पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे​ से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे हैं लेकिन अब भी दोनों तरफ से 50-60 हजार सैनिक एलएसी पर तैनात हैं। भारत ने पिछले ​एक साल में भारत और पाकिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने में तेजी से काम किया है।​ इस समय भी जम्मू-कश्मीर में 61, पंजाब में ​0​6, राजस्थान में 23 सड़कों पर काम चल रहा है। ​इनमें से अधिकतर ऑल वेदर रोड है यानी जो हर मौसम में इस्तेमाल की जा सकेंगी।​ रक्षा मंत्री​ ने 17 जून को ​अरुणाचल प्रदेश​ में ​12 ​सड़कें राष्ट्र को समर्पित​ करते हुए कहा था कि इन सामरिक सड़कों से न केवल संपर्क को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास सुरक्षा बल तेजी से आवाजाही हो सकेगी​​
 
चीन वार्ता की टेबल पर तो सहमत दिखता है लेकिन जमीनी हालात जस के तस हैं​। ​भारत​-​चीन कूटनीतिक स्तर की वार्ता या परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (​डब्ल्यूएमसीसी) ​की 25 जून को हुई 22​वें दौर ​की बैठक में दोनों पक्ष ​पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों का शीघ्र समाधान खोजने की आवश्यकता पर सहमत हुए।​ ​बैठक में सितम्बर, 2020 में दोनों ​देशों के ​विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए​ इस बात पर भी सहमति बनी कि मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार ​वरिष्ठ​ सैन्य कमांडरों ​के बीच 12वें दौर ​की वार्ता जल्द से जल्द आयोजित ​की जाए।​ चीन ने 09 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्तरीय 11वीं वार्ता में ​एलएसी के​ अन्य विवादित क्षेत्रों ​गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स​ से ​अपनी सैन्य टुकड़ी को हटाने से इनकार कर दिया था।
 

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