अब चीन बोला- भारत ने ही किया आम सहमति उल्लंघन

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पीएलए के वेस्टर्न कमांड ने कहा, एलएसी के पास से भारत अपनी सेना को तुरंत हटाए



नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)। पैंगोंग झील के पास की गई घुसपैठ पर अब चीन की सेना का बयान आया है। पीएलए के वेस्टर्न कमांड ने कहा है कि चीन भारत से अपील करता है कि वो एलएसी के पास से अपनी सेना को तुरंत हटा ले। चीनी सेना ने आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने भारत और चीन के बीच बहु-स्तरीय वार्ता में बनी आम सहमति का उल्लंघन किया है और सोमवार को फिर से सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और जानबूझकर उकसाने वाले अभियान शुरू किए। चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के उकसावे के जवाब में आवश्यक उपाय किए हैं और वे सीमा क्षेत्र में स्थिति और राष्ट्रीय संप्रभुता, शांति और स्थिरता की सुरक्षा के लिए कड़ी चौकसी करेंगे। इसी तरह चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से पैंगोंग की झड़प पर बयान दिया गया है कि उनकी ओर से एलएसी को क्रॉस नहीं किया गया है, इस मामले में बातचीत की जा रही है।
 
लद्दाख की पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में घुसपैठ करने के लिये लगभग 500 चीनी सैनिक 29 अगस्त की रात करीब 11 बजे एसयूवी गाड़ी के काफिले में आए थे। यहां पहले से मुस्तैद भारतीय जवानों ने चीन की कोशिश सफल नहीं होने दिया बल्कि चीनी सैनिकों को दूर तक खदेड़ दिया। इस घटनाक्रम के बाद आज दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हो गया। लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर दिल्ली में हैं और उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अहम बैठक हुई है। इसके अलावा कई और महत्वपूर्ण बैठकें हुई हैं और चाइना स्टडी ग्रुप के भी पीएम से मिलने की संभावना है। चीन ने एलएसी पर सेना का जमावड़ा कर रखा है। हालांकि किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए भारत ने भी अपनी तैयारी मजबूत कर रखी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख में बढ़े तनाव के बीच उपराज्यपाल आरके माथुर सोमवार दोपहर को नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे और गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी से मुलाकात की।
 
चीनी घुसपैठ की कोशिश पर सेना ने जारी अपने एक बयान में कहा है कि “चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख में 29-30 अगस्त की रात पैंगोंग में अतिक्रमण की कोशिश करके यथास्थिति बदलने की कोशिश की। चीन ने सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर हुए समझौते को तोड़ा। हालांकि, भारतीय सेना ने चीन के अतिक्रमण का मुंहतोड़ जवाब दिया। सेना देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए हमेशा तैयार है।”
भारत सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक पिछली बैठकों में शांति की कोशिशों के तहत तय की गईं बातों का चीनी पक्ष ने उल्लंघन किया है। इस झड़प के बाद दोनों देशों की सेनाएं एक बार फिर बात कर रही हैं।
 
लद्दाख की पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में 29-30 अगस्त की रात को चीनी सेना के जवानों ने बॉर्डर पर हालात बिगाड़ने की कोशिश की और भारतीय सीमा में घुसपैठ करने लगे लेकिन भारतीय सेना के जवान पहले से ही इसके लिए तैयार थे इसलिए चीन की कोशिश सफल ना हो सकी। 29 अगस्त की रात करीब 11 बजे चीनी सेना के करीब 500 जवान टैंक और गोला बारूद के साथ एसयूवी गाड़ियों के काफिले में आए। भारतीय सेना को इसकी पहले से ही उम्मीद थी, इसलिए इस इलाके में जवानों को पहले से ही मुस्तैद किया गया था। इन सभी चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश की जिस पार भारतीय जवानों ने कड़ा विरोध किया। इस दौरान कुछ मिनट की धक्का-मुक्की हुई लेकिन भारतीय सेना के विरोध के बाद चीनी सेना के जवान पीछे हट गए। इस दौरान किसी भी भारतीय जवान को चोट नहीं आई।
 
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तीन सेक्‍टरों में अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम तक, हिमाचल प्रदेश से उत्‍तराखंड तक और तीसरे हिस्से के रूप में लद्दाख तक बंटी है। भारत, चीन के साथ लगी एलएसी करीब 3,488 किलोमीटर पर अपना दावा जताता है, जबकि चीन का कहना है कि भारत का इलाका सिर्फ 2000 किलोमीटर तक ही है। दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर अपने-अपने हिस्‍से में लगातार गश्‍त करती रहती हैं। पैंगोंग झील के 45 किलोमीटर का पश्चिमी हिस्‍सा भारत के नियंत्रण में आता है जबकि बाकी चीन के हिस्‍से में है। पूर्वी लद्दाख एलएसी के पश्चिमी सेक्‍टर का निर्माण करता है जो काराकोरम पास से लेकर लद्दाख तक आता है। उत्‍तर में काराकोरम पास तक 18 किमी लम्बी सीमा है, काराकोरम का इलाका सड़क के रास्‍ते दौलत बेग ओल्‍डी से जुड़ा है। यहीं पर देश की सबसे ऊंची एयरफील्‍ड दौलत बेग ओल्‍डी है। दक्षिण में चुमार पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश से जुड़ा है। पैंगोंग झील पूर्वी लद्दाख में 826 किलोमीटर के बॉर्डर के केंद्र के एकदम करीब है।
पैंगोंग झील हिमालय में 14 हजार फीट से भी ज्‍यादा की ऊंचाई पर है। यह झील लेह से दक्षिण पूर्व में करीब 54 किलोमीटर की दूरी पर है। 135 किलोमीटर लंबी झील करीब 604 स्‍क्‍वॉयर किलोमीटर से ज्‍यादा के दायरे में फैली है। इस झील का रणनीतिक महत्‍व इसलिए है क्योंकि यह चुशुल के रास्‍ते में पड़ती है और यह रास्‍ता चीन की तरफ जाता है। किसी भी आक्रमण के समय चीन इसी रास्‍ते की मदद से भारत की सीमा में दाखिल हो सकता है। 1962 की जंग में भी चीन ने इसी रास्‍ते का प्रयोग कर हमले शुरू किए थे। भारत की सेना ने उस समय रेजांग ला पास पर बहादुरी से चीन का जवाब दिया था। चुशुल में तब 13 कुमायूं बटालियन तैनात थी, जिसकी अगुवाई मेजर शैतान सिंह कर रहे थे। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना से टकराव की स्थिति लगातार बढ़ती जा रही है। कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं को झुठलाते हुए चीन अपने सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे नहीं हटा रहा है। इसके विपरीत एलएसी के साथ सड़क, पुल, हेलीपैड और अन्य सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखे है।  
 

 


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