चीन को घेरने के लिए पैन्गोंग झील तक भारत की पहुंच हुई आसान

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पीएमजीएसवाई के तहत 11.41 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई सड़क

 लेह से पैन्गोंग झील तक पहुंचने के लिए करनी पड़ती है पांच घंटे की ड्राइव



नई दिल्ली, 08 नवम्बर (हि.स.)। लद्दाख के पहाड़ों के बीच भारत से तिब्बत तक 134 किलोमीटर लंबी पैन्गोंग झील के भारतीय इलाके तक पहुंचना अब बहुत आसान हो गया है। सुरम्य सुंदरता के लिए बेजोड़ यह झील इसलिए भी सैलानियों को आकर्षित करती है क्योंकि इसका रंग बदलता रहता है। झील के किनारे तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 11.41 करोड़ रुपये की लागत से सड़क का निर्माण पूरा कर लिया गया है। यह सड़क बनने से स्थानीय ग्रामीणों और पर्यटकों के साथ ही झील के दोनों किनारों तक सेना की पहुंच आसान हो गई है।

देश की सबसे ऊंंची झीलों में से एक करीब 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पैन्गोंग की सुंदरता और आकर्षण ने पूरे देश और उससे बाहर के लोगों को आकर्षित किया है। पैन्गोंग झील का नाम एक तिब्बती शब्द बैंगोंग से पड़ा है जिसका अर्थ है एक संकरी और मुग्ध झील। 134 किलोमीटर लंबी पैन्गोंग झील का एक तिहाई क्षेत्र भारत में और बाकी हिस्सा तिब्बत के साथ चीन के इलाके में पड़ता है। लेह से झील तक पहुंचने के लिए पांच घंटे की ड्राइव करनी पड़ती है। इस यात्रा का सबसे अच्छा हिस्सा वह मार्ग है जो झील की ओर जाता है। झील तक पहुंचने के लिए लद्दाख से होकर जाना पड़ता है जो दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे मोटरेबल माउंटेन दर्रे से होकर गुजरता है। यह स्थान कई फोटोग्राफरों के लिए भी पसंदीदा रहा है।

लद्दाख क्षेत्र में पड़ने वाले स्पैंगमिक और खाकस्टेड गांव लेह से 156 किलोमीटर पूर्व में स्थित हैं। दोनों गांवों के बीच महज 38.80 किमी. की दूरी है जिसमें से कुल 28.10 किमी. लम्बी सड़क का निर्माण पीएमजीएसवाई के तहत 11.41 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। स्पैंगमिक गांव चांग चेन्मो पहाड़ों और पैन्गोंग झील के बीच तिब्बती सीमा के बहुत करीब है। स्पैंगमिक गांव से पैन्गोंग झील की दूरी सिर्फ 7 किमी. होने के बावजूद भारतीय सेना का कठिन सर्दियों की परिस्थितियों में यहां तक पहुंचना मुश्किल था। अब पैन्गोंग झील के किनारे तक यह सड़क बनने से स्थानीय ग्रामीणों और पर्यटकों के साथ ही सेनाओं की पहुंच आसान हो गई है।

वैसे तो स्पैंगमिक गांव तक पहुंचने के लिए 2 मार्ग हैं। यहां सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरक्षित यात्रा के लिए दो मार्गों का पुन: निर्माण किया है। इसके बावजूद बर्फ पिघलने पर जब श्योक नदी अपनी पूरी ताकत में होती है तो इन सड़कों से पैन्गोंग झील तक नहीं पहुंचा जा सकता था। यहां गर्मियों के दिनों में माइनस 5 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तक और सर्दियों में माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है। अब सैलानियों के लिए लेह से स्पैंगमिक गांव और पैन्गोंग झील तक पहुंचने तक का पूरा सफर शानदार होगा। स्पैंगमिक गांव में रातभर रुकना और पैन्गोंग झील की सुंदरता देखना एक अच्छा विकल्प होगा।


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